
क्यों फटते हैं बादल
बादल क्यों फटते हैं– वर्षा ऋतु के दौरान अक्सर समाचार-पत्रों, रेडियो और दूरदर्शन से ये समाचार सुनने-पढ़ने को मिलते हैं कि बादल फटने से फलां स्थान पर इतने लोग मारे गए, सैकड़ों मकान ध्वस्त हो गए और जन-जीवन, संचार एवं यातायात व्यवस्था ठप्प हो गई। हालांकि मौसम विभाग संबंधी भविष्यवाणी करने वाले अनेक उपकरणों के विकसित होने तथा व्यापक अनुसंधान हो जाने के बावजूद भी वैज्ञानिक बादल फटने से संबंधित भविष्यवाणी करने में असमर्थ हैं। बादल कब और कहां फटेंगे, यह बताना आज भी पहेली बना हुआ है।
जब विशेष प्रकार के बादल किसी स्थान विशेष पर एकत्र हो जाते हैं और इनसे एक तरफ से ठंडी हवाएं और दूसरी तरफ से गर्म हवाएं टकराती हैं, तो एक दहशत पैदा करने वाले भयंकर विस्फोट के साथ घनघोर वर्षा शुरू हो जाती है। इस मूसलाधार वर्षा को बादल फटना अथवा आकाश से बाढ़ आना कहा जाता है। यह बारिश इतनी तेज एवं धुआंधार होती है कि वर्षा मापने के सभी उपकरण इस वर्षा की गणना करने में नाकाम हो जाते हैं।
मौसम वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि अगर एक घंटे के भीतर चार इंच वर्षा हो जाए तो यह हालत बादल फटने की मानी जाती है। लेकिन सोवियत रूस के वैज्ञानिक इस अनुमान को उचित नहीं ठहराते। उनका मानना है कि बादल फटने पर 8 से 10 इंच बारिश प्रति घंटा होती है।
बादल फटने की घटनाएं मानसून के दिनों में ही होती हैं, क्योंकि इन्हीं दिनों गर्म व ठंडी हवाएं एक साथ चलती हैं। ये विशेष प्रकार के बादलों से टकराकर बादल फटने की घटना को अंजाम देती हैं। इस दौरान वर्षा की बूंदों का औसत आकार लगभग 5 मिलीमीटर होता है। इसकी गति 32 फुट प्रति सेकंड होती है। ऐसे में बारिश की ये बूंदें जिस इलाके में गिरती हैं, वहां प्रलय जैसा हाहाकार मच जाता है।