
वर्जीनिया का युद्ध (War of Virginia) (सन् 1622 ई०)
वर्जीनिया का युद्ध अमेरिका की धरती पर 50,000 अफ्रीकी गुलामों के विद्रोह से उपजा। जिसे कुचलने के लिए ब्रिटिश सेनाओं ने आग्नेयास्त्रों का सहारा लिया। अफ्रीकी गुलामों ने संख्या बल के आधार पर हथियार बन्द ब्रिटिश सेना से जबरदस्त टक्कर लेकर युद्ध किया। दोनों ओर के हजारों लोगों की जाने गयीं। अन्ततः अंग्रेजों को गुलामों के आगे घुटने टेककर सन्धि करनी पड़ी।
यहां यह सवाल उभर सकता है कि अमेरिका की धरती पर ब्रिटिश और अफ्रीकी गुलाम क्योंकर पहुंच गए? इस सम्बन्ध में अमेरिका के संक्षिप्त इतिहास का विवरण जानना आवश्यक है।
सन् 1493 से पूर्व इस बात को कोई जानता भी न था। इस बात की किसी को कल्पना भी न थी कि अमेरिका नामक कोई महाद्वीप भी है, जहां इन्सानी दुनिया आबाद है। 15 नवम्बर, 1493 ई० को स्पेनी (यूरोपीय) समुन्द्री नाविक कोलम्बस का जलपोत भटकता हुआ अमेरिकी महाद्वीप के समुन्द्री तट पर जा लगा। उसने वहां जिन लोगों को देखा उन्हें उसने इण्डियन समझा। बाद में उसका भ्रम दूर हुआ। तब उसने उन्हें ‘नई दुनिया’ नाम दिया।
दरअसल, इस नई दुनिया में पिछले 15,000 वर्षों से इन्सानी सभ्यता धीरे-धीरे विकसित हो रही थी। वहां यापावर (घुमक्कड़) जातियों के लोग, अनेक देशों से चरागाह और शिकार की तलाश में, भटकते हुए पहुंचते रहे थे तथा बसते रहे थे। इस तरह वहां कई रक्त सभ्यताओं का मिश्रण था। वहां अधिकांश संख्या नीग्रो हशियों की थी। कोलम्बस द्वारा नई दुनिया का पता लगते ही, स्पेनिशों के अलावा और भी देशों के लोग पहुंच गए। जहां, जिस तट पर जिसका जलयान जाकर लगा, वहां के आस-पास के क्षेत्र के वे स्वामी बन गए। स्पेनियों के अलावा वहां डच भी पहुंचे, फ्रांसीसी, डच, स्वीडन और ब्रिटिश भी पहुंचे।
नई दुनिया के अधिक से अधिक भू-भाग पर कब्जा जमाने के प्रयास में ब्रिटेन वाले सबसे आगे निकल गए। सन् 1607 आते-आते जेम्स डी नदी तट के एक विशाल भू-भाग पर ब्रिटिशों का अधिपत्य स्थापित हो गया। उस स्थान को उन्होंने जेम्स टाउन नाम दिया। वहां की भूमि तम्बाकू की खेती के लिए खूब उर्वरा प्रतीत हुई। सन् 1610 ई० में ब्रिटिश बहुत सारे श्रमिक लेकर जेम्स टाउन पहुंचे और तम्बाकू की खेती आरम्भ कर दी। सन् 1607 में लंदन की वर्जीनिया टोबैको कम्पनी, तम्बाकू व्यापार पर, विश्व में सबसे बड़ी पकड़ रखने वाली कम्पनी थी। अंग्रेजों ने तम्बाकू की खेती के कार्य पर अमेरिकी मूल के काले हब्शी लोगों को गुलामों के रूप में कार्य पर लगाया। ऐसे श्रमिक गुलामों की संख्या 50,000 से ऊपर थी। अमेरिकी की धरती पर तम्बाकू उत्पादन कर वर्जीनिया कम्पनी बेतहाशा मुनाफा कमा रही थी।
अगले बारह वर्षों में तम्बाकू की खेती में लगे अमेरिकी मूल के श्रमिक काफी समझदार हो गए थे। उन्हें अपने श्रम का वाजिब मूल्य मिल रहा था, जिससे उनकी सुविधाएं बढ़ती जा रही थीं। ऐसे दिनों में वर्जीनिया कम्पनी का नया डायरेक्टर पावहटन (Pawhatan) नामक अंग्रेज को भेजा गया। पावहटन ने जार्ज टाउन पहुंचते ही गुलाम श्रमिकों की सुविधाएं देखीं तो वह चौंका। उनको दिए जाने पारश्रमिक को सुना तो उसे लगा, उन्हें बहुत ज्यादा पारश्रमिक दिया जा रहा है। उसने तुरन्त हेडक्वार्टर लंदन खबर भेजी कि वहां से कुछ हजार श्रमिक तुरन्त भेजे जाएं क्योंकि लंदन से आकर जार्ज टाउन में काम करने वाले श्रमिक कम से कम बीस प्रतिशत कम मजदूरी पर करने वाले थे। हेडक्वार्टर ने पावहटन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। पावहटन ने अमेरिकी मूल के मजदूरों को हटाने का बहाना तलाशा। उसने कुछ सख्त किस्म के सुपरवाइजरों का चुनाव करके, मजदूरों से सख्ती से काम लेने के कार्य पर लगा दिया।
सुपरवाइजर घोड़े पर सवार होते, हाथों में हण्टर रखते और गुलाम मजदूरों से सख्ती से काम लेते हुए उन पर हण्टर फटकारते जाते। गुलाम मजदूर शायद इस ज्यादती को भी स्वीकार कर लेते, परन्तु पावहटन की योजना लीक होकर मजदूरों की कालोनियों तक पहुंच गयी थी-उन्हें इस बात की जानकारी मिल गयी थी कि पावहटन ने हजारों की संख्या में मजदूर ब्रिटेन से मंगवाएं हैं-जो आकर उनकी जगह काम करेंगे और उन्हें हटा दिया जाएगा।
अमेरिकी मूल के लोगों को यह बात स्वीकार न हुई-उनमें अन्दर ही अन्दर विद्रोह की चिंगारी भड़क उठी। यह बात उनके लिए असहनीय थी कि उन्हीं की धरती पर गोरे लोग तम्बाकू की खेती से असीमित मुनाफा कमाएं और उन्हीं को मजदूरी से हटा दिया जाए। अन्दर ही अन्दर विद्रोह सुलगता रहा और योजनाएं बनती रहीं। तय यह किया गया कि जलयानों से वहां लाए जाने वाले बाहरी श्रमिकों के आने तक इन्तजार किया जाए। जब जलयान तट पर आकर लगें, नए मजदूर उतरने लगे तब बड़ी कार्यवाही की जाए।
सन् 1622 की एक संध्या को, अटलटिक महासागर की ओर से बढ़कर अमेरिकी तट की ओर सात जलयान आते नजर आए। उन पर ब्रिटिश ध्वज लहरा रहा था।
कुछ समय बाद यह भी स्पष्ट हो गया कि उन जलयानों पर आने वाले ब्रिटिश मजदूर हैं। जलयानों से जब ब्रिटिश मजदूर उतरने लगे, तथा वर्जीनिया कम्पनी के हेडक्वार्टर से सुपरवाइजर लोग बढ़कर नए आने वालों का स्वागत करने वालों की ओर जाने लगे-तब अमेरिकी मूल के मजदूरों ने आगे बढ़कर खूनी संघर्ष छेड़ दिया। इस खूनी संघर्ष में देखते ही देखते कुछ घण्टे के अन्दर एक हजार से अधिक ब्रिटिश मजदूर और वर्जीनिया कम्पनी के सुपरवाइजर तथा अधिकारी मौत के घाट उतार दिए गए।
ब्रिटिशों की ओर से बन्दूकों से गोलियां चलाकर और तलवारों से हमला करके ब्रिटिशों से भी कहीं बड़ी संख्या में अमेरिकी मूल के श्रमिकों की लाशें बिछा दी गयीं।
वर्जीनिया युद्ध वहीं पर रुका नहीं, बल्कि आगे भी भड़कता गया था। यह युद्ध काले और गोरों के युद्ध में तब्दील हो गया था। 50,000 से अधिक वर्जीनिया तम्बाकू की खेती में लगे मजदूरों के अलावा, अन्य क्षेत्रों के काले लोग भी इस युद्ध का सम्मान का विषय बनाकर वर्जीनिया वालों का साथ देने मैदान में उतर पड़े थे। जहां-जहां गोरे लोग दिखाई देते थे, उनका कत्ल कर देते थे। निहत्थे काले लोगों का युद्ध, हथियार बन्द गोरों पर भारी पड़ गया था-क्योंकि उनका संख्या बल बहुत अधिक था। लंदन हेडक्वार्टर सूचना पहुंची। वहां से नए जलपोतों पर हथियार बन्द अंग्रेजों की टुकड़ियां आने लगीं।
पर, ये टुकड़ियां युद्ध के विरुद्ध थी। वे किसी भी मूल्य पर अमेरिकी मूल के लोगों से समझौता करके तम्बाकू की खेती को बरकरार रखना चाहती थीं। आने वाले नए जलयानों और जलपोतों पर ब्रिटिश ध्वज के साथ सफेद ध्वज भी फहरा रहा था, जो इस बात का प्रतीक था कि वे युद्ध नहीं शान्ति के लिए आ रहे हैं। आने वाले ब्रिटिश अधिकारियों ने अमेरिकी मूल के लोगों की ज्यादह से ज्यादह शर्ते मानकर उनसे समझौता करना मंजूर किया।
अमेरिका की धरती पर काले-गोरों का वह युद्ध, जिससे अमेरिका की जेम्स नगर की धरती खून से लाल हुई, वह ब्रिटेन के किंग फिलिप के कार्यकाल, सत्ररहवी शताब्दी की सबसे सनसनी खेज युद्ध घटना के रूप में इतिहास के पृष्ठों में दर्ज हुई।
ब्रिटिशों और अमेरिकी मूल के लोगों के समझौते के बाद ब्रिटेन ने वहां नए-नए व्यापारिक अड्डे स्थापित करने आरम्भ किए। इनमें प्लेनाउथ कम्पनी, मेसाचेस्ट कम्पनी का नाम मुख्य है, जो 1630 तक न्युजर्सी, पेसीस्लोवानिया, डेलावोर में स्थापित हो चुकी थी।