
तरंगों की मदद से कैसे उड़ता है चमगादड?
आपने चमगादड़ की विशेषता के बारे में जरूर पढ़ा होगा। यह दिनभर उलटा लटका रहता है और रात को क्रियाशील होता है। रात को अंधेरे में उड़ते समय उसके शरीर से निकलने वाली तीव्र तरंगें मदद करती हैं कि वह किसी भी वस्तु से न टकराए।
इसके शरीर से निकलने वाली ये तरंगें वस्तु से टकराकर वापस लौटती हैं, जिससे इसके सामने आ रहे अवरोधक का पता चल जाता है। ये तरंगें इसे अपने शिकार को पकड़ने में भी सहायता करती हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह युद्धक विमान का ‘सोनर’ समुद्र की गहराई में चल रही पनडुब्बियों का पता लगाकर उसको ध्वस्त कर देता है। सोनर से छोड़ी जाने वाली तरंगों से समुद्र में छिपी छोटी-सी शिला भी नहीं बच पाती।
चमगादड़ के शरीर से निकलने वाली तरंगों की शक्ति 40 से 100 किलो हर्ट्ज तक होती है और उसकी वेव लेंथ (लंबाई) 0.85 से 0.34 सेमी तक। इस तरह चमगादड़ रात को भी आसानी से विचरण कर लेता है और अपने पकड़े शिकार से अपनी भूख भी मिटाता है। अब यदि रात के समय कोई चमगादड़ आपके पास से उड़ता हुआ निकले तो डरिएगा नहीं, क्योंकि अपनी तरंगों द्वारा वह आपकी स्थिति के बारे में पहले ही सब पता लगा चुका है।