
Story for kids in hindi- मूर्खो का दल
बहुत पहले की बात है। कहीं बहुत दूर एक पर्वत था। उस पर एक पेड़ था और उस पेड़ पर एक जादुई पक्षी रहता था। उसकी खूबी यह थी कि उसकी बीट सोने में बदल जाती थी।
एक शिकारी वहां अक्सर आता था। एक दिन उसने यह अनूठा नजारा देखा। उसके देखते-देखते पक्षी की बीट सोने में बदल गई। वह तो देखता ही रह गया। वह बचपन से ही शिकार करता आ रहा था, उसने अपने जीवन में बहुत से पशु और पक्षी पकड़े थे, पर ऐसा कोई पक्षी कभी नहीं देखा था, जिसकी बीट सोने में बदल जाती हो।
उसने तय किया कि वह उस जादुई पक्षी को अवश्य पकड़ेगा क्योंकि यह उसे बहुत अमीर बना सकता था। उसने अपने जाल बिछाए और पक्षी के आने का इंतजार करने लगा। वह जादुई पक्षी वहां आया। शिकारी द्वारा वहां बिछाया हुआ जाल उसे दिखाई नहीं दिया और वह उस जाल में फंस गया।
शिकारी ने उसे एक पिंजरे में डाला और अपने घर ले चला। वह घर जाते हुए सोचने लगा कि अगर वह जादुई पक्षी को घर ले गया तो निश्चित रूप से कुछ ही दिनों में वह धनवान बन जाएगा। जल्द ही लोगों को उसके
धन के बारे में पता चल जाएगा और वे इसकी जानकारी राजा को दे देंगे। इसके बाद राजा पता लगवा लेगा कि यह धन कहां से आया है। उसे सजा दी जाएगी कि उसने पक्षी के बारे में राजा को क्यों नहीं बताया। “अरे नहीं, मुझे तो पहले ही राजा को इस जादुई पक्षी के बारे में बता देना चाहिए, वरना बाद में मुझे सजा मिल सकती है,” वह जोर से बड़बड़ाया।
इसके बाद वह महल की ओर चल दिया। दरवाजे पर कुछ देर बहस के बाद उसे महल में जाने की इजाजत मिल गई। उसने राजा और उसके मंत्रियों को उस जादुई पक्षी के बारे में बताया जिसे उसने पकड़ा था और जो उस समय उसके पास था। राजा को बहुत खुशी हुई। ऐसा जादुई पक्षी महल में लाने के लिए राजा ने उस शिकारी को बहुत-सा इनाम दिया। राजा ने मंत्रियों से कहा कि पक्षी की पूरी देखरेख की जाए। उसे सही समय पर खाना-पानी देते हुए सफाई का भी ध्यान रखा जाए।
मंत्री मान तो गए किंतु उनके मन में अभी शिकारी की बातों पर संदेह था। “आदरणीय! ऐसा कैसे हो सकता है? हम देखना चाहते हैं कि यह शिकारी जो कह रहा है, वह सच भी है या नहीं? कहीं यह हमें मूर्ख तो नहीं बना रहा,” मंत्रियों ने अपनी बात राजा के सामने रखी।
परीक्षा के लिए वे सब इंतजार करते रहे लेकिन पक्षी ने बीट नहीं की। उन्हें लगा कि पक्षी पिंजरे से निकलने के बाद ही अपना करिश्मा दिखाएगा। उन्होंने राजा से पूछा, “महाराज! हो सकता है कि यह पक्षी पिंजरे में अपना करिश्मा न दिखाए। इसलिए हमें इसे पिंजरे से बाहर निकाल देना चाहिए। तभी हम देख सकेंगे कि इसकी बीट सोने में बदलती है या नहीं?” ज्यों ही पक्षी को पिंजरे से बाहर निकाला गया। उसने उड़ान भरने में देर नहीं की और वह देखते ही देखते आसमान में गायब हो गया।
वह जाते-जाते सोच रहा था, ‘पहली मूर्खता मैंने की, जो असावधान हो कर घूमता रहा और जाल को नहीं देखा, फिर दूसरा मूर्ख है शिकारी, जिसने हाथ में आए मुझे राजा को देने के बारे में सोचा। तीसरे मूर्ख हैं ये मंत्री, जिन्होंने पक्षी को खुलाकर छोड़कर उससे आसमान में न उड़ने की उम्मीद की। इतना ही नहीं राजा भी मूर्ख है, जिसने मंत्रियों की मूर्खताभरी सलाह को मान लिया। इस प्रकार हम सभी मूल् के दल से हैं!’