
रोचक कहानियां-सिंदबाद और समुद्री बूढ़ा
बहुत समय पहले बगदाद शहर में सिंदबाद नामक एक नाविक रहता था। वह बहुत बहादुर था। सिंदबाद कई बार समुद्री यात्रा कर चुका था। एक बार समुद्र में विशाल पक्षियों ने उसका जहाज तबाह कर दिया था। सिंदबाद को अपनी जान बचाने के लिए लकड़ी के लट्टे की मदद लेनी पड़ी। वह लकड़ी के उस लढे द्वारा तैरकर किसी तरह एक टापू तक जा पहुंचा।
सिंदबाद की किस्मत अच्छी थी। टापू पर खाने के लिए फल और पीने के लिए पानी भी मिल गया। कुछ देर आराम करने के बाद सिंदबाद ने उस जगह की खोजबीन करने का विचार किया। कुछ देर घूमने के बाद उसने एक बूढ़े आदमी को एक नाले के किनारे बैठा देखा। वह बहुत कमजोर लग रहा था। सिंदबाद ने उससे पूछा, “आप यहां कैसे आए?”.
वह कमजोर बूढा कुछ नहीं बोला। उसने केवल इशारों से जताया कि वह सिंदबाद के साथ नाले के उस पार जाना चाहता है, ताकि उसे पीने को पानी और खाने को फल मिल सके।
सिंदबाद के लिए वह बूढ़ा आदमी किसी पहेली से कम नहीं था। उसके दिमाग में केवल एक ही बात घूम रही थी कि इस वीरान जगह पर यह बूढ़ा आदमी कैसे आया और कुछ खाए-पिए बिना अब तक जीवित कैसे है। सिंदबाद ने दया करके उस बूढ़े आदमी को अपने कंधों पर बिठा लिया, ताकि उसे नाले के दूसरी ओर पहुंचा सके। लेकिन ये क्या! ज्यों ही उसने बूढ़े को अपने कंधों पर बिठाया, त्यों ही उसने अपनी टांगों से सिंदबाद की गर्दन जकड़ ली। सिंदबाद जोर से चिल्लाया, “गर्दन छोड़ो। मेरा दम घुट रहा है।”
लेकिन उस बूढ़े की जकड़न सिंदबाद की गर्दन पर बढ़ती जा रही थी। वह दर्द के कारण बेहोश हो गया। जब सिंदबाद को होश आया, तो उसने देखा कि अब बूढ़े ने उसकी गर्दन को टांगों से जकड़ नहीं रखा था, लेकिन वह उसके कंधों से उतरा भी नहीं था। वह बूढ़ा सिंदबाद को फलों के पेड़ के पास ले गया। वहां बूढ़े ने पेड़ों से काफी फल जमा कर लिए।
एक दिन टापू पर घूमते समय सिंदबाद को जंगली ककड़ी मिली, जिसे ‘कलाबाश’ कहते हैं। उसने उसे साफ करने के बाद उसका रस, अंगूरों के रस में मिलाया और कुछ दिनों के लिए यूं ही रख दिया। खमीर उठने के बाद वह रस शराब में बदल गया।
सिंदबाद ने उस शराब को बड़े स्वाद से पिया। उसने उस कमजोर बूढ़े से कहा, “तुम भी इसे पियो, अपने सारे दुख-दर्द भूल जाओगे।” इतना कहने के बाद सिंदबाद कोई गाना गाने लगा।
यह देखकर बूढ़े ने भी पीने के लिए शराब मांगी। उसे वह शराब बहुत अच्छी लगी। उसने सारी शराब पी ली और नशे में झूमने लगा। कुछ देर बाद शराब का नशा उस पर चढ़ गया। वह सिंदबाद के कंधे से नीचे गिर गया और उसने तत्काल दम तोड़ दिया।
बूढे के मरने के बाद सिंदबाद समुद्र के किनारे की ओर भागा। तभी उसे एक जहाज आता हुआ दिखाई दिया। वह उस जहाज पर चढ़ गया और सभी यात्रियों को अपनी कहानी सुनाई। उसकी कहानी सुनने के बाद वे बोले, “तुम्हें समुद्र के बूढ़े ने बंदी बना लिया था। उसकी कैद से आज तक कोई नहीं बचा। तुम पहले आदमी हो, जो बचकर आ गए।”
उन लोगों ने टापू के पेड़ों से नारियल तोड़ने में सिंदबाद की काफी मदद की। जब उन्होंने बहुत से नारियल एकत्र कर लिए, तो वे जहाज पर चढ़कर बगदाद की ओर चल पड़े। बगदाद में नारियल बेचने पर उन्हें बहुत मुनाफा हुआ, जिसे उन्होंने आपस में बांट लिया। इसके पश्चात सिंदबाद अपने घर रवाना हो गया।