
रहस्य कथा हिंदी में-कांटे बदलने वाला बंदर
सन् 1877 की बात है, जब एक दुर्घटना में जेम्स वाइल्ड नाम के एक व्यक्ति की टांगें नष्ट हो गईं और वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गया था। उस दुर्घटना के बाद जेम्स वाइल्ड दक्षिणी अफ्रीका में पोर्ट एलिजाबेथ के निकट स्थित युटन हैज स्टेशन पर सिगनलमैन अर्थात कांटे वाले के रूप में नौकर हो गया था। उस स्टेशन की व्यस्तता और महत्व का अनुमान केवल इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यह दक्षिणी अफ्रीका के पांच बड़े बंदरगाहों और सोने तथा हीरे की खदानों के ऐन मध्य में स्थित था।
उस स्टेशन का सिग्नल-टावर रेलवे लाइनों के साथ था, जो नगर के कस्बों और जंगलों में स्थित छोटे-छोटे ग्रामों से मिलाता था। जेम्स वाइल्ड की जिम्मेदारी यह थी कि वह विभिन्न दिशाओं से आने वाली गाड़ियों को हरे-पीले और लाल सिगनल देकर, कांटे बदल कर उन्हें गंतव्य की ओर जाने वाली पटरियों पर चलने का संकेत करे। जेम्स बेचारा स्टेशन के निकट एक कैबिन में अकेला रहता था, और उसे नाम को भी कोई ऐसा पड़ोसी नहीं मिला था, जिससे वह घड़ी-दो घड़ी बातें कर सके।
1881 की ग्रीष्म ऋतु की एक दोपहर की बात है कि जेम्स वाइल्ड स्थानीय बाजार में कुछ खरीदारी करने गया। अपनी व्हील-चेयर चलाते हए वह एक स्थानीय वासी के निकट से गुजरा जो आमने-सामने पिंजरों में विभिन्न पक्षी और जानवर लिए बैठा हुआ था। एक पिंजरे से उसे एक बंदर का बच्चा झांकता या नजर आया तो वह रुक गया। वह एक क्षण तक उस बंदर के बच्चे की चीखें सनता रहा, जो उसे बंदर के बच्चे की चीखों के बजाय एक मानवीय बनी किलकारियां अनुभव होती थीं। जेम्स वाइल्ड ने बंदर के उस बच्चे को खरीद और उसके पिंजरे को लेकर अपने कैबिन में वापस आ गया।
कैबिन में आकर उसने बंदर के बच्चे को पिंजरे से निकाला और पिंजरे को चूल्हे में डाल दिया। उसने उसे गर्म-गर्म दूध पिलाया, नहलाया और फिर उसे अपनी बांहों में लेकर यों थपकने लगा, जैसे एक मां अपने बच्चे को लोरियां देते हुए सुलाने के लिए थपकी देती है। जब वह सो गया, तो उसने बहुत धीरे-से एक नरम और सुखदायक बिस्तर पर लिटा दिया।
बंदर के उस बच्चे ने जेम्स का जीवन ही बदल डाला। वह इतना प्रसन्न पहले कभी नहीं हुआ था। वह उसे अपने हाथ से खिलाता-पिलाता था और उसकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखता था। उसने उसका नाम जैक रख दिया। वह घंटों जैक से बातें करता रहता, जो हर बीतते दिन के साथ एक बंदर के बच्चे से पूरा बंदर बनता जा रहा था। जैक ने उसके जीवन से उदासियों, परेशानियों और वचनाओं को निकाल कर उसे खुशियों से भर दिया था।
किंतु फिर भी जेम्स को एक परेशानी अवश्य थी। उसने पहले दिन ही जैक का पिजरा चूल्हे में डाल दिया था।
अब वह सोच रहा था कि यह बंदर जंगल का वासी है, हो सकता है इसका जी वापस जंगल में जाने को चाहता हो। इस में मेरा इसे कैबिन में बंद करके रखना इसके प्रति एक प्रकार का अत्याचार इसलिए एक दिन उसने अपने कैबिन का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया और अ व्हील-चेयर चलाता हुआ दूसरी ओर दीवार के निकट जा पहुंचा।
लेकिन जेम्स की नजरें अब भी बंदर पर ही जमी थी, जो खुले दरवाजे पास बैठा था। कुछ क्षण वह उसी प्रकार बैठा रहा। फिर उसने एक जम्हाई ली. उठा और दरवाजे की ओर बढ़ा। जेम्स का दिल जैसे उछल कर उसके कंठ में आ गया। अब वह इस प्रतीक्षा में था कि देखें जंगल के स्वतंत्र जीवन, जेम्स की मित्रता और संगति में से वह किसको चुनता है।
जैक ने दरवाजा बंद कर दिया और आकर जेम्स की गोद में लेट गया और फिर बड़े आराम से सो गया। जेम्स को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था। अब जैक सदा के लिए उसका मित्र और साथी था।