
रहस्य कहानी-दैवीय संकेत ने बचाई जान
रहस्य रोमांच सस्पेंस और हैरत में डाल देने वाली विश्व की ऐसी सत्य घटना है जो आज भी रहस्य की धुन में दफन है।आश्चर्यजनक तथ्य जो अभी तक सिर्फ रहस्य है।
आधुनिक विश्व के गणमान्य राजनीतिज्ञों में सर विंस्टन चर्चिल का नाम लिया जाता है। ब्रिटेन के इस पूर्व प्रधानमंत्री की जान दो बार मात्र उनको हरा पूर्वाभास के कारण बच गई। हालांकि चर्चिल के बारे में यह सर्वमान्य तथ्य है कि वह भविष्यवाणी या ऐसे ही किसी दूसरे पारंपरिक तौर-तरीकों पर जरा भी विश्वास नहीं करते थे। जबकि चर्चिल खुद इस बात को मान चुके हैं कि दो बार उनके प्राण किसी ईश्वरीय संदेश जैसे संकेतों के कारण ही बचे।
यह सन् 1942 की बात है, द्वितीय विश्वयुद्ध का समय था। हर ओर हथियारों की होड़ लगी हुई थी। ब्रिटिश वायुसेना ने भी एक युद्धाभ्यास की योजना बनाई। इस युद्धाभ्यास के दौरान नए बमवर्षक विमानों की मारक क्षमता को परखा जाना था। साथ ही सैनिक अधिकारी यह भी जानना चाहते थे कि कम ऊंचाई से होने वाली बमबारी से बचाव कैसे किया जा सकता है।
13 अप्रैल, 1942 को होने वाला यह युद्धाभ्यास एक पहाड़ी क्षेत्र में किया जाना था। ब्रिटिश वायुसेना के कमोबेश 1000 सैनिक व अधिकारी इसकी तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे। प्रधानमंत्री चर्चिल को भी यहां होने वाले शक्ति प्रदर्शन देखने की दावत दी गई थी। चर्चिल पूरी तरह तैयार थे। मामला आखिर देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ था और समय भी युद्ध का था।
आखिर वह दिन आ ही गया जब जंगी जहाज अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन करने वाले थे, परंतु उस दिन न जाने क्या था। चर्चिल को कोई अदृश्य शक्ति किसी अनहोनी घटना के होने का आभास करा रही थी। वैसे वह किसी अदृश्य या दैवीय शक्ति जैसी बातों में विश्वास नहीं रखते थे। साथ ही समय की नजाकत का तकाजा था कि वह अपने बमबार विमानों का प्रदर्शन देखें। इसलिए होंने उस प्रदर्शन में जाने को टालना मुनासिब नहीं समझा।
सब तैयारियां पूरी हो गईं, परंतु सुबह से कुछ अजीब-सा महसूस कर रह चर्चिल ने ऐन वक्त पर उस बमबारी प्रदर्शन को देखने जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया। अपने इसी कदम के कारण चर्चिल की जान बच गई। हुआ यह कि यद्धाभ्यास के दौरान ब्रिटिश वायुसेना के एक ‘हरिकेन फाइटर’ विमान ने ठीक उसी जगह बम वर्षा कर दी जहां वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे। चचिलर इस कार्यक्रम में गए होते तो वह खुद भी वहीं होते। इस गलत बमबारी के कारण 27 अधिकारी मौत की नींद सो गए। 68 अधिकारी और कर्मचारी बुरी तरह घायल हो गए।
इसी तरह के संकेत से चर्चिल का एक बार पहले भी सामना हो चुका था। यह बात है अक्टूबर 1940 की। लंदन के अपने निवास स्थल पर चर्चिल रात का खाना शुरू करने ही वाले थे कि हवाई हमले की सूचना देने वाले भौंपू जोर-जोर से बजने लगे। इसका अर्थ था कि जर्मनी के विमान लंदन पर बमबारी करने के लिए आने ही वाले हैं। एक पल के लिए चर्चिल ने आंखें बंद कर ली और उसी पल किसी अदृश्य शक्ति ने बहुत कुछ दिखा दिया। क्षणमात्र में चर्चिल ने स्वप्न की तरह देखा कि वहां चारों तरफ भयंकर बमबारी हो रही है, जो लगातार आधे घंटे तक चलेगी। उस भीषण हवाई आक्रमण से आसपास की सारी इमारतें नष्ट हो गई हैं। खुद उनके निवास स्थल को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
अलबत्ता वह स्वयं पूरी तरह सुरक्षित हैं। चर्चिल ने अक्लमंदी यह की कि वह इस ईश्वरीय सहायता को फौरन समझ गए, उन्होंने रसोई में काम करने वाले और दीगर कर्मचारियों से कहा कि वह सब फौरन तहखाने में चले जाएं। कुछ पल बाद ही जबरदस्त बमबारी शुरू हो गई। चर्चिल रसोई घर से उठकर स्टडी कक्ष में आ गए। इस दौरान उनके निवास स्थल के कई हिस्से लगातार बरस रहे बमों की चपेट में आ गए। जिससे उनका रसोई घर भी नष्ट हो गया। यह वही जगह थी जहां वे कुछ मिनट पहले मौजूद थे।
बमबारी खत्म हो जाने के बाद चर्चिल ने उस पूरी जगह का मुआयना किया। प्रत्यक्षदर्शियों और खुद चर्चिल के अनुसार रसोई घर पूरी तरह मटिया मेल हो चुका था। वहां की सुन्दर चीजें मलबे में बदल चुकी थीं। ऐसे में अगर चर्चिल को वह दिव्य संकेत न मिलता तो पता नहीं उनका क्या हाल होता।