
बवासीर का इलाज-piles treatment in hindi
बवासीर के कारण और लक्षण
इसकी उत्पत्ति में मूल कारण सामान्यता कब्ज होता है। विभिन्न कारणें से जब मलाशय की शिराएं फूल जाती हैं तो उनमें गांठे सी बन जाती हैं।
गुदाद्वार के भीतर तथा बाहर छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। इस गांठ में सूजन होती है।
गुदा में जलन, पीड़ा, बार-बार खुजली, जोड़ों तथा जांघों में दर्द, मल त्याग के समय रक्त आना ‘आदि लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। शरीर कमजोर पड़ता जाता है। इस बवासीर की उत्पत्ति क्षेत्र
गुदा प्रदेश के 3-4 इंच भीतर से लेकर गुदाद्वार तक होता है।
बवासीर का घरेलू उपचार
काले तिल व भिलावा चूर्ण-समभाग लेकर मढे (छाछ) के साथ दिन में दो या तीन बार सेवन करें।
नींब पर सेंधा नमक लगाकर चूसना अत्यन्त लाभप्रद है।
नीम के 8-10 कोमल पत्ते, आधा चम्मच पिसी हुयी काली मिर्च दोनों का 10 ग्राम शहद के साथ सेवन करें।
प्याज के रस में घी तथा चीनी मिलाकर खाने से बवासीर समाप्त हो जाती है।
अनार के छिलकों को छाया में सुखा लें। 2 ग्राम चूर्ण दिन में 3 बार ठंडे पानी से सेवन करें।
गाजर का रस एक कप तथा पालक का रस एक कप 8-10 दिनों तक पीने से यह रोग शान्त हो जाता है। 10 ग्राम काली मिर्च,
10 ग्राम धुले हुए तिल, 5 ग्राम पिसी शक्कर – इन दोनों को बकरी के 60 ग्राम दूध में मिलाकर पियें। खून गिरना बंद होकर बवासीर में लाभ मिलता है।
10 ग्राम जीरा, चुटकी भर सेंधा नमक – तीनों को एक साथ ताजे जल के साथ सेवन 15 दिनों तक करें। प्रभाव आपके सामने होगा।
अनार के पत्तों को पीस कर गोली बना लें। इसे घी में भुनकर नियमित खाने से बवासीर ठीक होता है।
अमरूद की छाल तथा पत्ते लेकर एक कप पानी में रात भर भिंगोयें। प्रातः इस पानी को इतना उबालें कि पांचवां भाग शेष रहे। इस पानी को छान कर पीते रहें।
एक चम्मच आंवले का चूर्ण ताजे पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करें।
जामुन के पत्तों को गाय के दूध (250 मि.ली.) में पीसकर छानकर प्रतिदिन प्रातःकाल पियें।
नारियल की जटा जलाकर 5 ग्राम प्रतिदिन जल के साथ लें।
एक गिलास छाछ (मट्ठा) में 14 चम्मच सोंठ मिलाकर प्रतिदिन पियें। कुछ दिन पीने से बवासीर में आराम मिलता है।
बवासीर का अन्य उपचार
नीम तथा कनेर कत्तों को पीसकर उसका लेप मस्सों पर करें।
एक टमाटर काट कर उसकी छोटी-छोटी फांकें करे। उस समय टमाटर से जो रस निकलता है उसे कपड़े में भिगोकर मस्सों पर लगाइये। सूजन कम होकर खून गिरना बंद हो जाता है।
हल्दी के चूर्ण को सेंहुड़ के दूध में मिलाकर मस्सों पर लेप करें।
थोड़ी सी फिटकरी हरें में मिलाकर मस्सों पर लगायें।
पपीते की जड़ को घिसकर गुदा पर लगायें।
प्रतिदिन शौच के तुरंत बाद काली मिट्टी गीली करके मस्सों पर लगायें। सावधानी एवं बचाव
कब्ज न होने पाये, हमेशा ध्यान रखें।
बवासीर रोग में सावधानी और बचाव
अधिक से अधिक पानी पियें।
कच्चे आम का नियमित रस पियें।
उपवास तथा स्त्री प्रसंग से दूर रहें।
मल त्याग करते समय जोर न लगायें।