
Panchtantra ki kahani in hindi-केकड़े की चालाकी
किसी जंगल में बरगद का एक घना पेड़ था। उसके पास ही एक नदी बहती थी। वह जंगल और झील बहुत सारे पशु-पक्षियों का बसेरा थी। वे वहां मिल कर रहते और अपने-अपने बच्चों को पालते। अगर वे कुदरती दुश्मन होते तो अक्सर एक-दूसरे पर हमला भी कर देते। पर कुल मिला कर वे सब आराम से रहते थे। यहां तक कि पानी के पास रहने वाले जीव भी उसी पेड़ पर अपने अंडे देने आ जाते थे। जब उनके बच्चे बड़े हो जाते तो वे उन्हें पानी में ले जाते। इस तरह बरगद के बड़े से पेड़ ने बहुत से जीवों को आसरा दे रखा था।
उसी पेड़ की खोखलों में बहुत सारे बगुलों ने भी अपने अंडे दिए हुए थे। वे अपने अंडों का बहुत ध्यान रखते थे।
कुछ दिन बीते और फिर उन अंडों से बच्चे निकले। वे अपने बच्चों को तब तक वहीं रख कर पालना चाहते थे, जब तक कि वे खुद अपना पेट भरने लायक न हो जाएं, अपने पैरों पर खड़ा होना न सीख लें।
उसी पेड़ की खोखल में एक बड़ा-सा काला सांप भी रहता था। वह सही मौके की तलाश में था, और एक दिन मौका हाथ आते ही उसने बगुलों के घर में हमला किया और उनके बच्चों को खा गया। बेचारे बगुले रोने के सिवा कुछ नहीं कर सके।
एक दिन एक केकड़ा धूप सेंकने रेत पर आया तो उसने एक बगुले को रोता देखा। उसने पूछा, “क्या बात है? आप इतना रो क्यों रहे हैं?”
“मेरे बच्चे नहीं रहे! दुष्ट सांप उन्हें खा गया। काश मैं उससे बदला ले पाता। पर मैं रोने के सिवा कर भी क्या सकता हूं?” बगुले ने कहा केकड़ा बहुत ही चालाक था। उसे पता था कि बगुला उसका कुदरती दुश्मन है। मौका पाते ही बगुला उसे भी जान से मार सकता है। उसने सोचा कि क्यों न ऐसी तरकीब लगाई जाए जिससे सांप के साथ-साथ बगुले भी मारे जाएं।
उसने बड़ी सहानुभूति के साथ बगुले को देख कर कहा, “महोदय! मेरे पास एक योजना है। अगर आप चाहें तो इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आप मछली और मांस के कुछ टुकड़े लें
और उन्हें सांप के घर के बाहर फैला दें। इसके बाद नेवले को जा कर बताएं कि सांप ने उसके भोजन का भंडार चुरा लिया है।”
“फिर वह क्या करेगा?” बगुले ने पूछा।
“महोदय! नेवला सांप का दुश्मन होता है। वह खुद ही सांप से निपट लेगा और आपकी परेशानी भी दूर हो जाएगी,” केकड़े ने सलाह दी।
बगुले ने केकड़े की सलाह मानते हुए, योजना का पहला हिस्सा पूरा कर दिया। वह सोच भी नहीं सकता था कि दुष्ट केकड़ा सभी बगुलों को मारने की योजना भी बनाए बैठा है। उसने मांस और मछली के कुछ टुकड़े सांप के बिल तक फैला दिए, जिन्हें सूंघते-सूंघते नेवला वहां आ पहुंचा। इसके बाद बगुला छिप कर देखने लगा। नेवला सांप के घर के बाहर तक आया और जब उसने अपने भोजन को सांप के खोखल के बाहर देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया। उसे लगा कि सांप ने उसका खाना चुराया है। उसने सांप पर हमला कर दिया। उनके बीच भयंकर लड़ाई हुई और आखिर में नेवले ने सांप को मार दिया।
बगुले बहुत खुश हुए कि चलो दुष्ट सांप का तो सफाया हो गया, अब उनके बच्चे सही-सलामत रह सकते थे। पर उन्हें यह नहीं पता था कि चालाक केकड़े ने एक तीर से दो शिकार किए थे।
ज्यों-ज्यों दिन बीतने लगे, नेवला भोजन की तलाश में पेड़ के पास आने लगा। एक दिन उसने वहां बगुलों के बच्चों को भी देख लिया। उन्हें खाने से उसे कई दिन का भोजन मिल सकता था। वह बगुलों और उनके बच्चों को भी मार कर खाने लगा। बगुलों का भी वहां से पूरी तरह से सफाया हो गया।
देखा, किस तरह केकड़े ने चालाकी से अपने दोनों दुश्मनों को मरवा दिया। अब उसे पानी से बाहर आ कर बगुलों तथा सांप के हाथों मरने का कोई डर नहीं था।