
पंचतंत्र की कहानियाँ with Moral-लोहे की तराजू
एक व्यापारी का बेटा किसी नगर में रहता था। यह वही स्थान था जहां उसके पिता और दादा-परदादा ने भी अपना व्यवसाय करके खूब धन कमाया था, जबकि वह यहां अपना सारा धन गंवा बैठा था और निर्धन हो गया था। जब वह नगर में किसी तरह कोई काम नहीं खोज सका तो उसने तय किया कि वह किसी दूसरे स्थान पर जा कर धन कमा कर लाएगा ताकि अपना धंधा नए सिरे से चालू कर सके। दूसरे नगर में जाने से पहले अपना सारा बचा हुआ सामान किसी के पास रख कर जाना जरूरी था। उसने सारे सामान की एक पोटली तैयार की और उसे अपने एक मित्र के घर रखवा दिया।
वह जब घर से निकलने से पहले सारे घर का चक्कर लगाने लगा तो उसे अपना खानदानी तराजू दिखाई दिया। यह लोहे का तराजू उसे अपने पिता से विरासत में मिला था इसलिए वह चाहता था कि उसकी वापसी तक वह तराजू भी किसी के पास सुरक्षित पड़ा रहे।
मित्र का घर तो दूर था इसलिए उसने तय किया कि उस तराजू को अपने पड़ोसी व्यापारी के घर में ही रखवा देगा। वह अपने एक व्यापारी पड़ोसी के पास जा कर बोला, “भाई, क्या आप वापस आने तक इस लोहे के तराजू को संभाल कर रख लेंगे?”
पड़ोसी ने तराजू रखने के लिए हामी भर दी। तराजू को धनी व्यापारी के पास रखने के बाद वह दूसरे नगर में चला गया।
इस दौरान उसने कई स्थानों की यात्रा की और कड़ी मेहनत की ताकि वह अपने पिता जैसा धनवान बन सके। और धीरे-धीरे वह एक धनी आदमी बन गया। इसके बाद वह अपने नगर में लौट आया ताकि कमाई गई सम्पत्ति से वह अपने धंधे को दोबारा चालू कर सके। कुछ दिन बाद उसे अपने खानदानी तराजू की याद आई। तब उसे यह भी याद आया कि उसे तो उसने अपने पड़ोसी के पास संभालकर रखा हुआ था।
वह अपने पड़ोसी से अपना तराजू मांगने गया। उसने उसे शुक्रिया कहा और अपना तराजू वापस मांगा।
“ओह! अच्छा! वह लोहे का तराजू। माफ करना दोस्त। वह तो मैं वापस नहीं कर सकता। उसे तो चूहे कुतर गए,” कहते हुए पड़ोसी ने टालने का प्रयास किया। व्यापारी को पता चल गया कि पड़ोसी तराजू देना नहीं चाहता है। उसने सोचा कि क्यों न वह भी उसके साथ एक चाल चले ताकि पड़ोसी को अपनी भूल का एहसास हो। उसने कहा, “कोई बात नहीं, मैं समझ सकता हूं। आप परेशान न हों। चूहे इसी तरह सारा सामान खराब कर देते हैं। मैं नदी पर नहाने जा रहा हूं। आप अपने बेटे को मेरे साथ भेज दें, वह जरा मेरे कपड़ों की देखभाल कर लेगा।”
पड़ोसी ने अपने बेटे को व्यापारी के बेटे के साथ भेज दिया। जब व्यापारी नहा कर आया तो उसने उस लड़के को कुछ समय के लिए नदी के पास बनी गुफा में छिपा दिया।
पड़ोसी ने उसे अकेला लौटते देखा, तो वह हैरान रह गया। वह चिंतित हो उठा। उसने पूछा, “मेरा बेटा कहां है। वह वापस क्यों नहीं आया?” व्यापारी के बेटे ने कहा, “माफ करना, जब मैं नहा रहा था तो जाने कहां से एक बड़ा-सा पक्षी आया और तुम्हारे बेटे को उड़ा ले गया। मैं उसे बचा नहीं सका।”
“झूठे कहीं के, पक्षी मेरे बेटे को उड़ा ले गया। ऐसा हो ही नहीं सकता,” पड़ोसी चीखा।
“बेशक, ऐसा हो सकता है। जब चूहे मेरा लोहे का तराजू खा सकते हैं तो पक्षी भी तुम्हारे बेटे को उड़ा कर ले जा सकता है,” व्यापारी ने कहा।
वे दोनों इस मामले को राजा के पास ले गए। राजा ने उन दोनों की बातें सुनीं। वे समझ गए कि पड़ोसी झूठ बोल रहा है। उन्होंने पड़ोसी को आदेश दिया कि वह उसी समय तराजू वापस करे। व्यापारी ने भी पड़ोसी को उसका बेटा सही-सलामत वापस कर दिया। दोनों ने एक-दूसरे को माफ कर दिया और उसके बाद नगर में शांतिपूर्वक रहने लगे। रहा हूं। आप अपने बेटे को मेरे साथ भेज दें, वह जरा मेरे कपड़ों की देखभाल कर लेगा।”
पड़ोसी ने अपने बेटे को व्यापारी के बेटे के साथ भेज दिया। जब व्यापारी नहा कर आया तो उसने उस लड़के को कुछ समय के लिए नदी के पास बनी गुफा में छिपा दिया।
पड़ोसी ने उसे अकेला लौटते देखा, तो वह हैरान रह गया। वह चिंतित हो उठा। उसने पूछा, “मेरा बेटा कहां है। वह वापस क्यों नहीं आया?” व्यापारी के बेटे ने कहा, “माफ करना, जब मैं नहा रहा था तो जाने कहां से एक बड़ा-सा पक्षी आया और तुम्हारे बेटे को उड़ा ले गया। मैं उसे बचा नहीं सका।”
“झूठे कहीं के, पक्षी मेरे बेटे को उड़ा ले गया। ऐसा हो ही नहीं सकता,” पड़ोसी चीखा।
“बेशक, ऐसा हो सकता है। जब चूहे मेरा लोहे का तराजू खा सकते हैं तो पक्षी भी तुम्हारे बेटे को उड़ा कर ले जा सकता है,” व्यापारी ने कहा।
वे दोनों इस मामले को राजा के पास ले गए। राजा ने उन दोनों की बातें सुनीं। वे समझ गए कि पड़ोसी झूठ बोल रहा है। उन्होंने पड़ोसी को आदेश दिया कि वह उसी समय तराजू वापस करे। व्यापारी ने भी पड़ोसी को उसका बेटा सही-सलामत वापस कर दिया। दोनों ने एक-दूसरे को माफ कर दिया और उसके बाद नगर में शांतिपूर्वक रहने लगे।