
मध्यप्रदेश में घूमने वाली जगह-Madhya Pradesh mein ghumne wali jagah
भारत का हृदय स्थल कहलाने वाले मध्यप्रदेश में पर्यटन स्थलों की बहुतायत है। जय विलास पैलेस, मंडला, धार, असीरगढ़, मांडू, चंदेरी, ओरछा का किला, सांची, महाकाल मंदिर, पशुपतिनाथ मदिर, अमरकंटक, चित्रकूट, खजुराहो के मंदिर सहित बहुत कुछ है यहां देखने के लिए।
ग्वालियर
ग्वालियर का किला
सेंडस्टोन से बना यह किला शहर की हर दिशा से दिखाई पड़ता है और शहर का प्रमुखतम स्मारक है। यह किला एक ऊंची पठार पर बना हुआ है जिसके कारण यहां पहुंचने के लिए एक बेहद ऊंची चढ़ाई वाली पतली सड़क से होकर जाना पड़ता है। इस किले के आसपास जैन तीर्थ कारों की विशाल मूर्तियां बड़ी-बड़ी चट्टानें पर बेहद खूबसूरती से और बारीकी ढंग से गाड़ी गई । किले के अंदरूनी हिस्से में मध्यकालीन भारत के स्थापत्य के अद्भुत नमूने प्रस्तुत की गई है। गुजरी महल जो 15 वी शताब्दी में निर्मित की गई थी इस महल के अंदर इसके अद्भुत नमूने प्रस्तुत की गई है।
मानमंदिर महल
मान मंदिर महल को राजा मानसिंह के द्वारा बनवाया गया था। आज भले ही इस किले की गुजरे समय ने इस्माइल की सुंदर रंगीन टायरों से सजी हुई सुंदरता रौनक घटी जरूर है फिर भी आज कुछ आंतरिक व बड़ा हिस्सों में हरी नीली, पीली, और सफेद टाइल द्वारा बनाई गई उत्कृष्ट कलाकृतियों के अवशेष इस किले के अतीत का जानकारी देते हैंइस किले में विशाल कक्ष हैं। यहां जालीदार दीवारों से बना संगीत कक्ष है, जिनके पीछे बने जनाना कक्षों में राज परिवार की स्त्रियां संगीत सभाओं का आनंद लेती और संगीत सीखती थीं।
इस मानमंदिर महल में 9 वीं सदी में प्रतिहार वंश द्वारा निर्मित एक आदित्य स्थापत्य कला का नमूना विष्णु जी का तेली मंदिर जो कि 100 फीट ऊंची है यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य और आर्य स्थापत्य का बेजोड़ संगम है। भगवान विष्णु का ही एक और मन्दिर है सास-बहू का मन्दिर। इसके अलावा यहां एक सुन्दर गुरुद्वारा है, . जो सिखों के छठे गुरु गुरु । हरगोबिन्दजी की स्मृति में बनाया गया था।
जयविलास महल-संग्रहालय
यह महल सिंधिया राजपरिवार का वर्तमान में निवास स्थान ही नहीं बल्कि एक भारत में उपस्थित एक बड़ा भव्य संग्रहालय भी है।इस महल के संग्रहालय को 35 कमरों में विभाजित किया गया है जो इस महल की सुंदरता की चार चांद लगाता है इस महल की कलाकृति का ज्यादातर हिस्सा इटेलियन स्थापत्य से प्रभावित है। इस महल का भव्य अतीत का गवाह, महल में उपस्थित प्रसिद्ध दरबार हॉल है। इस दरबार हॉल में लगे हुए दो फानूसों का भार दो-दो टन का है। कहा जाता है कि जब इन फानूसों को टांगा गया तब 10 हाथियों को छत पर चढ़ा कर छत की मजबूती मापी गई थी।
इस संग्रहालय में एक और बड़ी प्रसिद्ध चीज है, चांदी की रेल जिसके पटरिया डाइनिंग टेबल पर बनाई गई है और विशिष्ट दावतो पर या चांदी की रेल लोगों को पेय परोसती चलती है। चीन, फ्रांस, इटली तथा कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियां यहां पर रखी गई है।
तानसेन स्मारक
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महान संगीतकार तानसेन का स्मारक है जो अकबर के नौ रत्नों में से एक भी थे। यह प्राचीन मुगल स्थापत्य का एक बेहतरीन कला का नमूना है जिसे देखकर लोग आज भी आश्चर्यचकित होते हैं।
रानी लक्ष्मीबाई स्मारक
रानी लक्ष्मीबाई स्मारक के बारे में कहा जाता है कि कि यहां झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना ने अंग्रेजों से लड़ते हुए क्रम में यहां पर अपना डेरा डाला था और यहां के तत्कालीन शासक से युद्ध में मदद मांगी थी। लेकिन यहां शासक मुगलों और अंग्रेजों के प्रभुत्व में रहते थे जिसके कारण यह शासक रानी लक्ष्मीबाई की मदद नहीं कर सकी।यहीं पर रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त कोई थी। इस जगह पर तात्या टोपे का भी स्मारक बनाया गया है
खानपान-यहां खाने में बहुत सी वैरायटी हैं। पोहा, साबुदाना खिचड़ी, मावा बाटी, मालपुआ, बटर खीस, कई प्रकार के अचारों के अलावा सीक कबाब, आचरी गोश, समी कबाब, कोरमा आदि भी खूब चटखारे लेकर खाये जाते हैं। और हां, खाना खाने के बाद भोपाली पान का स्वाद लेना न भूलें।
मध्य प्रदेश में घूमने लायक जगह-Madhya Pradesh mein ghumne layak jagah
ओरछा
राज महल
राजमहल सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है जो ओरछा में है। इस महल का निर्माण 17वीं शताब्दी में मधुकर शाह ने करवाया था।यह महल ओरछा के सबसे प्राचीन स्मारकों में एक है। इसका निर्माण मधुकर शाह ने 17 वीं शताब्दी में करवाया था।यह महल बेहतरीन आंतरिक भित्तिचित्रों और छतरियों और के लिए प्रसिद्ध है।इस महल में प्राचीन धर्म ग्रंथों से जुड़ी तस्वीरें भी उपलब्ध है।
रामराजा मंदिर
रामराज मंदिर मध्य प्रदेश के ओरछा का सबसे लोकप्रिय और प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें भगवान श्री राम की पूजा राजा के रूप में होती है
राय प्रवीन महल
राजा प्रवीण महल का निर्माण राजा इंद्रमणि ने अपनी खूबसूरत गणिका की याद में बनवाया था। वह एक संगीतकार और कवित्री थी। यह महल 2 मंजिला इमारत के रूप में बना हुआ है इस महल के चारों और प्राकृतिक बगीचों और पेड़ पौधों से घिरा है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर 1662 ईस्वी में राजा वीर सिंह देव द्वारा बनवाया गया था यह मंदिर ओरछा गांव के पश्चिमी क्षेत्र में एक पहाड़ी पर बना हुआ है। मंजिल में 17वीं और 19वीं शताब्दी के प्राचीन चित्र बने हुए हैं। यह चित्र चटकीले रंग के कारण देखने में बिल्कुल जीवंत लगते हैं, मानो ऐसा लगता है कि जैसे हाल ही में बने हो। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की आकृतियां और झांसी की लड़ाई के दृश्य बनी हुई हैं।
चतुर्भुज मंदिर
चतुर्भुज मंदिर का निर्माण राजा मधुकर ने करवाया था। यह मंदिर ओरछा राज महल के सामने स्थित है। इस मंदिर में चार भुजा धारी भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर में पूजा पाठ और प्रार्थना के लिए बहुत बड़ा हाल है जहां इस हाल में कृष्ण भक्त एकत्रित होते हैं
फूलबाग
यह फूलों का बगीचा बुन्देल राजाओं द्वारा बनवाया गया है। यह बगीचा चारों तरफ से दीवारों से घिरा हुआ है। यह महल बुंदेल राजाओं का आरामगाह होता था जो पालकी महल के निकट था। लेकिन वर्तमान में पर्यटक लोग यहां पिकनिक मनाने जाते हैं। फूलबाग 8 स्तंभों वाला मंडप और भूमिगत महल है।इस बगीचे में चंदन के कटोरे से गिरता हुआ पानी जैसे लगता है कि झरना गिर रहा है।
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भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल प्रदेश का एक विख्यात पर्यटन स्थल है। यह शहर प्रमुख रूप से मोती मस्जिद और भारत भवन के लिए जाना जाता है। इसकेअलावा भी यहां कई दर्शनीय स्थल हैं।
लक्ष्मीनारायण मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर बिरला मंदिर के नाम से भी विख्यात है। यह मंदिर भारत में भोपाल के अरेरा पहाड़ियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। इस मंदिर के नजदीक ही एक संग्रहालय भी बना हुआ है।इस संग्रहालय में मध्य प्रदेश के मंदसौर, रायसेन, शहडोल और सेहोर आदि जगहों से लाई गई मूर्तियां यहां पर रखी गई है। यहां पर भगवान विष्णु और महादेव शिव और उनके अवतारों की पत्थर की मूर्तियां बनी हुई है।
मोती मस्जिद
मोती मस्जिद का आकार और डिजाइन दिल्ली में बनी जामा मस्जिद के बिल्कुल समान है लेकिन मोती मस्जिद मंदिर आकार में थोड़ी छोटी है। इस मस्जिद दो मीनारें हैं जिनके ऊपर गहरे लाल रंग से पेंट की हुई है। यह मीनारें ऊपर से नुकीली और सोने के समान लगती है
शौकत महल
शौकत महल शहर के बीचो-बीच चौक एरिया के प्रवेश द्वार पर स्थित है।यह महल यूरोपियन और इस्लामिक शैली का मिश्रित रूप है। इस महल को देखकर लोगों की पुरातात्त्विक जिज्ञासा जीवंत हो जाती है। इस माहौल के समीप में ही भव्य सदर मंजिल भी बनी हुई है
पुरातात्विक संग्रहालय
मध्यप्रदेश में स्थित इस संग्रहालय में विभिन्न जगहों से एकत्रित की हुई मूर्तियों को इस संग्रहालय में रखा गया है। बुद्ध की प्रतिमाएं, बाघ गुफाओं की चित्रकारियों की प्रतिलिपियां और पेंटिंग्स इस संग्रहालय में सहेजकर रखी गई हैं।
भारत भवन
यह भवन मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थित है। भारत भवन को भारत के सबसे अनोखे राष्ट्रीय संस्थानों में से एक है। इस महल में अनेक प्रकार के रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। यह महल शामला पहाड़ियों पर स्थित है। इस महल का डिजाइन प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरेया ने किया था। भारत के शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह भारत का प्रमुख केंद्र है।