
अकबर बीरबल की लम्बी कहानी-अकबर का सपना
बीरबल बहुत स्पष्ट सोच रखने वाले लोगों में से थे। उनके मन में कभी किसी बात के लिए दुविधा या संदेह पैदा नहीं होता था। जब भी उनके सामने कोई मुश्किल हालात आते, तो उन्हें उसका हल निकालने में देर नहीं लगती थी। लोग हमेशा यही सोचते कि बीरबल इतनी आसानी से सारी मुश्किलें कैसे हल कर लेते हैं। बादशाह अकबर को बीरबल की इस खूबी के कारण बहुत मदद मिलती थी क्योंकि वे राज्य की सुरक्षा से जुड़े हर मामले में बीरबल की सलाह लेते थे।
एक बार की बात है, अकबर ने सोचा कि क्यों न बीरबल को ही मूर्ख बनाया जाए। उन्होंने ऐसा करने के लिए मन ही मन एक योजना भी बना ली। उन्होंने तय किया कि वे सारा दिन अपने चेहरे पर एक झूठी मुस्कान बनाए रखेंगे। बीरबल ने दिन में जितनी बार, जहांपनाह को जहां भी देखा, वे मुस्कुराते हुए दिखे। यह देख कर बीरबल चकरा गए। वे आधे दिन तक तो यही सोचते रहे कि बादशाह के चेहरे पर इस मुस्कान का क्या कारण होगा। पहले उन्होंने दूसरे दरबारियों से पूछा कि क्या तुम्हें इस बारे में कुछ पता है पर
उन्हें कुछ पता न था क्योंकि वे भी यही सोच रहे थे। बीरबल ने जहांपनाह के सहायकों से पूछा पर वे भी कुछ नहीं जानते थे।
फिर बीरबल को लगा कि अकबर अपने-आप सामान्य हो जाएंगे पर ऐसा नहीं हुआ। अंत में वे उन्होंने जहांपनाह के पास जा कर पूछा, “महाराज! आज मैं आपको सुबह से मुस्कुराते हुए देख रहा हूं। क्या मैं इसकी वजह जान सकता हूं? ऐसी क्या बात है कि आपके चेहरे पर लगातार एक मुस्कान बनी हुई है?” अकबर ने कहा, “बीरबल, पिछली रात मैंने एक सपना देखा और वही सपना मेरी इस मुस्कान का कारण है।”
बीरबल ने पूछा, ” जहांपनाह। आपने क्या सपना देखा?”
अकबर बोले, “बीरबल! मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि तुम मेरे दिल के कितने करीब हो। तुम मेरे प्रिय मंत्री होने के साथ-साथ मेरे मित्र भी हो। आशा करता हूं कि तुम जानते हो कि तुम मुझे कितने प्रिय हो।”
बीरबल बोले, “महाराज! यह तो मेरे लिए सम्मान की बात है पर मुझे अपने सपने के बारे में भी तो बताइए।”
अकबर बोले, “मित्र! मैंने तुम्हें अपने सपने में देखा। हम दोनों एक खेत में से जा रहे थे। वहां दो गड्ढे थे। मैं तो शहद से भरे गड्ढे में गिरा और तुम कीचड़ से भरे गड्ढे में जा गिरे। यही मेरे चेहरे पर मुस्कान की वजह है।” अकबर अपना सपना सुनाने के बाद दिल खोल कर हंसे और उन्हें लगा कि आज तो उन्होंने अपनी बात से बीरबल की बोलती बंद कर ही दी। तभी बीरबल बोले, “महाराज! यह तो आधा सपना हुआ।” अकबर उलझन में पड़ गए और पूछा, “तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?”
बीरबल बोले, “जहांपनाह! मैंने भी यही सपना देखा। मैंने देखा कि हम दोनों गड्ढों से बाहर आ गए और अपने-आप को साफ करने के लिए पानी की तलाश करने लगे परंतु वहां कोई नदी, तालाब या झील दिखाई नहीं दे रही थी इसलिए आप मुझे चाटने लगे और मैं आपको चाटने लगा।” अब अकबर की बोलती बंद थी और बाकी दरबारी मुंह छिपा कर अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रहे थे।