
लीप वर्ष की शुरुआत कैसे हुई-Lip year ki shuruaat kaise hui
लीप ईयर किसे कहते हैं
लीप वर्ष की शुरुआत कैसे हुई – जिस वर्ष की संख्या में चार के अंक द्वारा पूर्ण विभाजन हो जाता हो, उसे लीप वर्ष कहा जाता है जैसे कि सन् 2020 लीप वर्ष होगा। प्रत्येक चार-वर्षों में एक लीप वर्ष होता है। लीप-वर्ष के फरवरी माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं तथा उस वर्ष में कुल 366 दिन होते हैं।
दरअसल ‘लीप वर्ष’ की शुरुआत का श्रेय रोम के सम्राट जूलियस सीजर को जाता है। कैलेण्डर की वर्तमान विकास-यात्रा में जूलियस सीजर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उससे पूर्व एक वर्ष में कुल दस माह होते थे तथा वर्ष की शुरुआत मार्च माह से होती थी।
जूलियस सीजर ने कैलेण्डर में जनवरी और फरवरी दो माह और जोड़े। उसके कैलेण्डर के अनुसार, फरवरी माह में सामान्य रूप से 28 दिन होते थे और हर चौथे वर्ष फरवरी तीस दिनों की होती थी। इस वर्ष को प्रसिद्ध रोमन त्योहार ‘लीप’ के नाम पर लीप ईयर’ नाम दिया गया।
कालांतर में कैलेण्डर में कई संशोधन और परिवर्तन हुए और फरवरी माह में सामान्यत: 28 और लीप-वर्ष में 29 दिन सुनिश्चित किए गए। इसकी वजह यह है कि खगोल शास्त्रियों के मुताबिक पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी एक
परिक्रमा 365 दिन, 6 घंटे, 9 मिनट और 9 सेकंड में ही पूरी करती है। चूंकि साधारण वर्ष में 365 दिन ही होते हैं, इसलिए हर साल के अंत में 6 घंटे, 9 मिनट और 9 सेकंड का अंतर पड़ जाता है। इस अंतर को बराबर करने के लिए ही प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह में एक और अतिरिक्त दिन जोड़ दिया जाता है।
लीप-वर्ष के संबंध में एक नहीं, अनेक रोचक और दिलचस्प किस्से प्रचलित हैं। 1288 में स्कॉटलैंड में एक विचित्र कानून बनाया गया। इस कानून के प्रावधानों के मुताबिक लीप वर्ष में किसी महिला को अपने मनपसंद पुरुष से विवाह का प्रस्ताव रखने का अधिकार दिया गया। उस व्यक्ति द्वारा उस महिला से विवाह से इंकार करने पर दंड की व्यवस्था भी की गई। कई अन्य यूरोपीय देशों में भी इस प्रकार के कानून प्रचलन में थे।
लीप-वर्ष के संबंध में फ्रांस में एक बड़ी रोचक घटना घटी। सन् 1944 में, फ्रांस में आवश्यक वस्तुओं की राशनिंग की कठोर व्यवस्था थी। लोगों को खाने-पीने की वस्तुओं-यहां तक कि ब्रेड आदि के लिए कूपन लेने होते थे, इनके आधार पर खाद्य सामग्री का वितरण होता था, लेकिन उस वर्ष अधिकारियों की भूल से फरवरी के 29 दिनों के स्थान पर 28 दिनों के ही कूपन जारी हुए। नतीजन कूपनों के अभाव में 29 फरवरी, सन् 1944 को फ्रांस में लोगों को ब्रेड आदि आवश्यक खाद्य सामग्री मुहैया नहीं हो सकी। हालांकि बाद में इस त्रुटि को सुधारने हेतु प्रयास किए गए।
शायद आपको यह जानना भी दिलचस्प लगे कि संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव लीप इयर में ही होता है। भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई चार सालों में एक बार अपना जन्म दिन मना पाते थे, क्योंकि उनकी जन्मतिथि 29 फरवरी को पड़ती थी।
लीप ईयर को कोई पसंद करे या न करें किंतु वित्तमंत्री इसे जरूर पसंद करते हैं, क्योंकि इस वर्ष फरवरी माह में एक अतिरिक्त दिन होने से देश की आय बढ़ जाती है। एक अनुमान के अनुसार, भारत सरकार की एक दिन की आय तकरीबन 30 करोड़ रुपयों से अधिक होती है, जबकि सरकार के व्ययों में कोई अतिरिक्त वृद्धि नहीं होती।