
कलम का आविष्कार किसने किया
कलम का आविष्कार किसने किया– जब मानव ने सभ्यता की दुनिया में कदम रखे तो उसे लिखने के लिए कलम की आवश्यकता महसूस हुई। तब आज जैसी कलम उपलब्ध नहीं थी। आइए, कलम के अतीत की ओर चलते हैं।
लाखों वर्ष पूर्व जब मानव बंदरों की भांति जंगल में भ्रमण किया करता था. तब वह पेड़ की मोटी शाखा को छीलकर नाखून से कुछ आकृतियां बनाया करता, इससे उसका मनोरंजन भी होता व बौद्धिक विकास भी बढ़ता।
वैसे कलम बनाने का श्रेय मिस्र देश को है। वहां पहले पहल एक लंबी खोखली पतली लकड़ी के आखिरी सिरे में तांबे का एक पतला चिपटा नुकीला टुकड़ा लगाया गया। इसी कलम को फूलों के रस व रंग में डूबोकर जमीन व पत्थर पर आढ़ी-तिरछी रेखाएं खींची जाने लगीं।
मिस्र के धार्मिक पुराणों के मुताबिक शुरू-शुरू में आदिम मानव छेनी हथोड़े की मदद से पथरीली गुफाओं पर तरह-तरह के चित्र आंकता था और उन्हें देखकर खूब हंसा करता था। उस समय के कई मंद बुद्धि वाले आदिमानव इन चित्रों को देवताओं का रूप समझकर हाथ व मस्तक से नमन किया करते। मानव में ज्यों-ज्यों बुद्धि का विकास बढ़ता गया, त्यों-त्यों कलम में भी कुछ परिवर्तन होने लगा। कई बुद्धिमान मनुष्य जानवरों के खून में पेड़ की टहनी डुबोकर चमड़े पर लिखने लगे।
संत-महात्माओं ने मयूर पंख से कलम बनाई और उसे फूलों के रंग में डुबोकर विविध ग्रंथों की रचना की। आज से तकरीबन पांच हजार वर्ष पूर्व यूनान में हाथीदांत, हड्डी, धात आदि की मदद से कलमों का निर्माण शुरू हुआ था। तब कलम रखने का अधिकार सिर्फ पढ़े-लिखे लोगों को ही था। उस समय कलम को धार्मिक दृष्टि से भी देखा जाता था। किसी की कलम टूट जाने पर उसकी सम्मान के साथ शव यात्रा निकाली जाती। लोग अपने मजहब के अनुसार कलम का अंतिम संस्कार करते थे। आज से एक दशक पूर्व मिस्र में खुदाई के समय कुछ ऐसे ग्रंथ मिले, जिन पर फूलों की पीली स्याही से धर्म के नियम लिखे हुए थे। फूलों की स्याही से लिखे ये ग्रंथ आज भी ताजा फूलों की तरह महकते हैं।
आखिर इनके महकने का रहस्य क्या है ? यह तो आज तक पता नहीं चल सका। अट्ठारहवीं शताब्दी के मध्य में अमेरिका में फाउण्टेन पेन का निर्माण हुआ। बस, इसके बाद से तो दिन पर दिन कलम की दुनिया में नई-नई खोजें होने लगी और आज की दुनिया तो तरह-तरह की कलमों से भरी पड़ी है।