भारत के निराले उत्सव
बसंत ऋतु हमारे देश भारत की छह ऋतुओ में से से एक है, यह हमारे देश में फरवरी-मार्च अप्रैल के दौरान में अपनी सुंदरता का प्रदर्शन करती है। बसंत ऋतु हिंदू महीना के अनुसार चैट और फाल्गुन महीना में माना गया है लेकिन फाल्गुन वर्ष का अंतिम महीना होता है अजब की चैत साल का पहला। इस प्रकार हमारे देश में बसंत ऋतु का आरंभ और अंत हिंदू कैलेंडर के अनुसार बसंत ऋतु से होता है।
इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है और मौसम सुहावना हो जाता है। पेड़-पौधे फूलों से लबालब हो जाते हैं। आम के पेड़ों पर बौरें आ जाती है, खेतों में सरसों के फूल लहलहाने लगते हैं। राग, रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ होती है, इसीलिए इसे ऋतुराज कहा जाता है। प्रस्तुत है ऋतुराज के कुछ निराले उत्सवों की एक झलक
अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव
ऋषिकेश के अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन 1 मार्च से 7 मार्च तक किया जाता है। दुनिया को योग की अलौकिक शक्ति प्रदान करने वाली ऋषियों की यह भूमि विश्व योग सप्ताह’ के रूप में इस पावन पर्व को मनाती है। यहां गंगा नदी भव्य और आकर्षक मंदिरों और आश्रमों के प्रांगण से गुजरती हुई बड़ा ही मनोरम दृश्य उपस्थित करती है। अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उद्देश्य दुनिया की हर संस्कृति, रंग और पंच के योगियों को एक विश्व योग परिवार में एकजुट करना है। 2018 के महोत्सव में करीब 100 देशों के 2000 योगियों ने इस योग महोत्सव में शिरकत की थी। यह महोत्सव परमार्थ निकेतन आश्रम द्वारा अतुल्य भारत. पर्यटन मंत्रालय और आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया जाता है।
बरसाने की लट्ठमार होली
होली की बात हो और नंद गांव और बरसाने की लट्ठमार होली का जिक्र न हो, तो होली का मजा ही नहीं आता। होली के इस उत्सव में पुरुष महिलाओं पर रंग फेंकते हैं और महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ से प्रहार करती हैं। होली का मैदान एक युद्ध क्षेत्र में बदल जाता है। लेकिन जो लोग इसका सिर्फ आनंद लेने के लिए जाते हैं, वे मुक दर्शक बनकर इसे देख सकते हैं। उन पर कोई प्रहार नहीं होता है। इसलिए पर्यटकों के लिए यह बड़ा ही यादगार उत्सव है।
मेवाड़ का होलिका दहन
मेवाड़ के उदयपुर शहर में स्थित सिटी पैलेस में होलिका दहन एक ऐसा उत्सव है, जिसे आज भी शाही अंदाज में मनाया जाता है। दो दिन के होली के इस उत्सव को शाही परिवार के लोग उसी पारपरिक अंदाज में मनाते हैं, जैसे उनके पूर्वज मनाते आए थे। उदयपुर के शाही निवास से शुरू होने वाले इस उत्सव में शाही परिवार के लोग अपनी पारंपरिक पोशाक पहनकर इस उत्सव में शामिल होते हैं।
पारिपल्ली का गज मेला
केरल के कोल्लम जिले में पारिपल्ली कोडिमुतिल में इस वैभवशाली गज मेले का आयोजन किया जाता है। इस गज मेले में हाथियों की पूजा की जाती है। इस वर्ष यह मेला 4 मार्च को आयोजित किया जाएगा। इस गज मेले का आयोजन केरल के प्राचीन सम्पन्न परिवारों ने शुरू करवाया था, जिसमें हाथियों को बड़ी भव्यता के साथ सजाकर अपनी समृद्धि के लिए प्रार्थना करने की प्रथा शुरू की गई थी। लेकिन अब यह मात्र एक जुलूस के रूप में ही रह गया है। रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें पारंपरिक वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है।
जयपुर का एलिफेंट फेस्टिवल
होली के पर्व पर जयपुर में एलिफेंट फेस्टिवल की धमक रहती है। यह रंगारंग और वैभवशाली गज महोत्सव देवों के गणपति भगवान गणेश को समर्पित है, जो हाथी के प्रतीक हैं। इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस उत्सव में हाथियों को बड़ी सुंदर रंगों से रंगकर सजाया जाता है। उन्हें बड़े सुंदर व आकर्षक परिधान और आभूषण पहनाए जाते हैं। शहर रंग, संगीत और नृत्य के साथ जीवंत हो जाता है।’
शांतिनिकेतन का वसंत उत्सव
पश्चिम बंगाल में स्थित शांतिनिकेतन में वसंत उत्सव का आयोजन एक ऐसा त्योहार है, जिसे प्रकृति के आगोश में रंग और संगीत के माध्यम से मनाया जाता है। देश के बाकी भागों में इस होली के रूप में मनाया जाता है। यह स्थान गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कर्मभूमि है और विश्व भारती विश्वविद्यालय के लिए प्रसिद्ध है। इस उत्सव में विश्वविद्यालय के छात्र अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस उत्सव में बंगाल में लंबे समय से चली आ रही प्राचीन परंपरा की झलक दिखाई देती है।