
खेल का महत्व पर निबंध-Importance of Sports in Hindi
प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है, “शरीमाद्यं खलु धर्म साधनम् अर्थात धर्म की साधना करने का प्रमुख माध्यम स्वस्थ एवं नीरोग शरीर है।” प्रकृति ने मानव शरीर के रूप में एक अमूल्य रचना हमें प्रदान की है।
विज्ञान अपनी असंख्य आश्चर्यजनक उपलब्धियों के बावजूद मानव शरीर रूपी यंत्र की रचना नहीं कर सकता। इस मशीन को स्वस्थ एवं नीरोग बनाए रखना हमारा कर्तव्य है-अपने प्रति ही नहीं; समाज, देश और प्रकृति या उस परमात्मा के प्रति भी, जिसने यह धरोहर हमें सौंपी है।
इस शरीर को स्वस्थ, लचीला, चुस्त और फुर्तीला बनाए रखने में खेलों की उपयोगिता सर्वाधिक है। खेलों के द्वारा हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का व्यायाम स्वतः हो जाता है। इससे हमारी समस्त मांसपेशियां सुदृढ़ हो जाती हैं। हममें रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और हमारी इंद्रियां ठीक-ठीक काम करने लगती हैं। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। अतः यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि खेल मात्र हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी विकसित करता है।
सीखने की प्रक्रिया में खेलों का महत्व असंदिग्ध है। पशु-पक्षी भी अपने बच्चों को खेल द्वारा शिक्षा देते हैं। बिल्ली, कुत्ते, खरगोश, शेर, कंगारू आदि अनेक जीव अपने बच्चों को भांति-भांति के खेलों द्वारा भावी जीवन के लिए तैयार करते हैं। मानव भी खेलों से जीना सीखता है। छोटा शिशु भी प्रारंभ से ही खेलने लगता है। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो माता-पिता चिंतित हो उठते हैं। बच्चों का विकास खेलों के माध्यम से ही होता है। लड़कियां गुड़ियों के खेल से मातृत्व एवं गृहस्थी सीखती हैं। लड़के भाग-दौड़, तोड़-फोड़ एवं खेलों से भावी जीवन की विषम परिस्थितियों के लिए स्वयं को ढालते है।
खेलों से हमें आर्थिक लाभ भी होता है। पेशेवर खिलाड़ी विश्व भर में घूम-घूमकर खेलते हैं और करोड़ों रुपये कमाते हैं। अनेक खिलाड़ी विश्व भर में प्रसिद्ध होकर खेल-प्रेमियों के चहेते बन जाते हैं।
खेलों का महत्व स्वीकार करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “मेरे नवयुवक मित्रो, बलवान बनो। तुमको मेरी यही सलाह है। ‘गीता’ के अभ्यास की अपेक्षा फुटबॉल खेल के द्वारा तुम स्वर्ग के अधिक निकट पहुंच जाओगे। कलाई और भुजाएं अधिक मजबूत होने पर तुम ‘गीता’ को अच्छी तरह समझ सकोगे। तुम श्रीकृष्ण की महान प्रतिभा और शक्ति को समझ सकोगे।”
अनेक पुस्तकों एवं ग्रंथों में भी खेलों के महत्व पर काफी प्रकाश डाला गया है। उनमें कहा गया है कि जो मनुष्य निरंतर किसी भी खेल से जुड़ा रहता है, वह सदैव स्वस्थ और नीरोग होता है। उसमें काफी चुस्ती-फुर्ती पाई जाती है। इसका कारण यह है कि खेलों द्वारा मनुष्य के सभी अवयवों और मांसपेशियों पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में रक्त संचरण सुचारु रूप से होने तथा मांसपेशियों में लचीलापन आने से शरीर के अनेक रोग-विकार हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा भविष्य में कोई रोग नहीं पनपता।