
प्रवासी भारतीय समुदाय का महत्व-current essay
भारत द्वारा अपना 16वाँ वार्षिक प्रवासी भारतीय दिवस (9 जनवरी, 2021 को) मनाया गया. यह भारत की विशाल प्रवासी आबादी तक पहुँचने, उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करने और उन्हें जड़ों से जोड़ने के साथ भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीयों के जुड़ाव के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने का अवसर है. भारत के राष्ट्रीय हितों की पैरवी करने, भारत की सॉफ्ट पॉवर का प्रसार और आर्थिक रूप से भारत के उत्थान में योगदान देने की प्रवासियों की पर्याप्त क्षमता को स्वीकृति मिलने लगी है, हालाँकि, इस प्रवासी लाभांश का
सदुपयोग करने के लिए भारत को इससे जुड़ी । संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए अपनी । कूटनीति का संचालन करने की आवश्यकता है.
भारत की सॉफ्ट पॉवर में वृद्धि
भारतीय प्रवासी समुदाय/भारतीय डायस्पोरा (Indian Diaspora) कई विकसित देशों में । सबसे धनी अल्पसंख्यकों में से एक हैं, ‘प्रवासी कूटनीति’ में इन प्रवासियों की सकारात्मक । भूमिका का महत्व स्पष्ट है, जिसके तहत् वे भारत और अपने प्रवास के देशों के बीच सम्बन्धों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं. भारत-अमरीका असैन्य परमाणु समझौता इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, अमरीका में भारतीय मूल के लोगों द्वारा इस परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सफलतापूर्वक पैरवी की गई. इसके अतिरिक्त भारतीय प्रवासी केवल भारत की सॉफ्ट पॉवर का हिस्सा ही नहीं है, बल्कि पूरी तरह से हस्तांतरणीय राजनीतिक वोट बैंक भी है.साथ ही भारतीय मूल के बहुत से लोग अनेक देशों में शीर्ष राजनीतिक पदों पर कार्यरत हैं, जो संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थानों में भारत के राजनीतिक प्रभुत्व को बढ़ाता है,
आर्थिक सहयोग
भारतीय प्रवासियों द्वारा प्रेषित धन का । भुगतान सन्तुलन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो व्यापार घाटे को कम करने में सहायता करता है, विश्व में भारत प्रवासियों द्वारा सर्वाधिक प्रेषित धन प्राप्त करने वाला देश है, कम कुशल श्रमिकों के प्रवास (विशेषकर पश्चिम एशिया की तरफ) ने भारत में प्रच्छन्न बेरोजगारी को कम करने में सहायता की है. इसके अलावा प्रवासी श्रमिकों ने भारत में परोक्ष सूचनाओं, वाणिज्यिक और व्यावसायिक विचारों तथा प्रौद्योगिकियों के प्रवाह को सुविधाजनक बनाया है,
प्रवासी भारतीयों की चुनौतियाँ और अन्य मुद्दे
भारतीय लोकतंत्र में प्रवासी भारतीयों की भूमिका
भारतीय प्रवासी एक गैर-सजातीय समूह के रूप में हैं और भारत सरकार से की जाने वाली इनकी माँगें भी अलग-अलग हैं, यही कारण है कि इन मांगों और भारत सरकार की नीतियों में अंतर्विरोध देखने को मिलता है. इसे हाल के किसान प्रदर्शनों को कुछ प्रवासी समूहों द्वारा प्राप्त समर्थन के रूप में देखा जा सकता है. पूर्व में भारतीय प्रवासियों के कई समूहों ने बहुत से कानूनों या कानूनी संशोधनों को रद्द करने की माँग की थी जिनमें कश्मीर में अनुच्छेद 370, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) आदि शामिल हैं,
कोविड-19 का प्रभाव
कोविड-19 महामारी और इससे उत्पन्न चुनौतियों ने एक वैश्वीकरण विरोधी लहर को जन्म दिया है, जिसके कारण कई प्रवासी श्रमिकों को भारत लौटना पड़ा और अब उन्हें उत्प्रवास के सम्बन्ध में प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. इसने भारतीय प्रवासी समुदायों और भारतीय अर्थव्यवस्था दोनों के लिए आर्थिक चुनौतियों में वृद्धि की है.
पश्चिम एशिया की अस्थिरता
इजराइल और चार अरब देशों (यूएई, बहरीन, मोरक्को तथा सूडान) के बीच शांति समझौते (अब्राहम एकार्ड) को लेकर अति उत्साह के बावजूद सऊदी अरब तथा ईरान के बीच मौजूदा तनाव के कारण पश्चिम एशिया की स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई हैं, इस क्षेत्र में किसी भी युद्ध की स्थिति में पश्चिम एशियाई देशों से भारी संख्या में भारतीय नागरिकों की वापसी होगी जिसके कारण प्रेषित धन में कटौती के साथ स्थानीय रोजगार बाजार पर भी दबाव बढ़ेगा.
नियामकीय चनौतियाँ
वर्तमान में प्रवासी भारतीयों के लिये भारत के साथ सहयोग या देश में निवेश करने के सन्दर्भ में भारतीय प्रणाली में कई कमियाँ हैं. उदाहरण के लिए लालफीताशाही, मंजूरी मिलने में देरी, सरकार के प्रति अविश्वास आदि भारतीय प्रवासियों को अवसरों का लाभ प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करने का काम करते हैं,
आगे की राह
नीतिगत मामलों में पारदर्शिता
सोशल मीडिया उपकरणों ने भारतीय डायस्पोरा के लिए भारत में अपने परिवार और दोस्तों के सम्पर्क में रहना अधिक आसान तथा सस्ता बना दिया है एवं वर्तमान में भारत से उनका सम्पर्क पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत हुआ है. वर्तमान में यह सबसे सही समय है कि भारत सरकार द्वारा सभी नीतिगत निर्णयों में अत्यधिक पारदर्शिता का पालन करते हुए लोगों के बीच बने इस मजबूत बंधन का लाभ अपने राष्ट्रीय हितों के लिए उठाया जाए.
नीति की आवश्यकता
वर्तमान में विश्व के कई सक्रिय संघर्ष क्षेत्रों में बगैर किसी चेतावनी के भारी संकट आने की संभावना बनी रहती है और सरकारों को प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए बहुत कम समय मिलता है. ऐसे में संघर्ष क्षेत्रों से प्रवासी भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए एक रणनीतिक प्रवासी निकास नीति की आवश्यकता है.
व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) के क्षेत्र में किये गए सुधार प्रवासियों भारतीयों द्वारा देश में आसन निवेश को सक्षम बनाने में सकारात्मक और दूरगामी परिणाम प्रदान कर सकते हैं,
निष्कर्ष- प्रवासी कुटनीति’ का संस्थागत/ संस्थानीकरण किया जाना इस तथ्य का एक स्पष्ट संकेत है कि भारतीय प्रवासी समुदाय भारत की विदेश नीति और सम्बन्धित सरकारी गतिविधियों के लिए अत्यधिक महत्व का विषय बन गया है, भारत की विदेश नीति का उद्देश्य स्वच्छ भारत, स्वच्छ गंगा, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी प्रमुख परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए अपनी साझेदारियों का लाभ उठाना है, साथ ही इस दिशा में प्रवासी भारतीयों द्वारा व्यापक योगदान किए जाने की संभावनाएँ हैं, …