
कैसे काम करता है एचआईवी आक्रमण?-How HIV virus attacks human body
एचआईवी वायरस मानव शरीर पर कैसे हमला करता है– एड्स के वायरस मनुष्य शरीर में पहुंच कर शरीर के प्रतिरक्षण तंत्र की प्रमुख कोशिकाओं टी-लिम्फोसाइट्स को निशाना बनाती हैं। टी-कोशिकाओं पर एक खास डी-4 अणु की परत होती है, जिससे एचआईवी बंध जाता है। वायरस की संरचना में सिर्फ एक न्यूक्लिओटाइड आरएनए होता है, जिसमें जेनेटिक सूचनाएं अंकित होती हैं। यह आरएनए चारों ओर एक प्रोटीन तथा ग्लाइकोप्रोटीन का बना खोल होता है।
वायरस अपनी पोषक कोशिका को ही प्रजनन का आधार बनाता है। यह तेजी से वृद्धि करता है। प्रजनन के फलस्वरूप इसकी संख्या टी-कोशिकाओं से एक लाख गुना बढ़ जाती है। वायरस का बाहरी खोल जी-120 का बना होता है, जो टी-कोशिकाओं की झिल्ली में मिल जाता है।
आरएनए से ये डीएनए में तथा डीएनए से कोशिका के नाभिक में प्रवेश कर जाते हैं। इस प्रकार विदेशी कारकों वाला डीएनए पोष डीएनए में प्रवेश करने के बाद अपना संक्रमण तेजी से फैलाना शुरू कर देता है।
यह सारा कार्य संक्रमण काल से महज आधे दिन में पूरा हो जाता है। एड्स के प्रारंभ में वायरल डीएनए ढेर सारे आरएनए का निर्माण करता है। यह आरएनए कोशिका द्रव्य में फैलकर प्रोटीन का संश्लेषण करने लगते हैं।
इस आरएनए एड्स वायरस की प्रतिलिपियां बुलबुले के रूप में हजारों की संख्या में उठकर कोशिकाओं की झिल्ली से संयुक्त होकर अपना प्रसार करने लग जाती हैं। अंतत: आरएनए, जिसमें संक्रमण संदेश निहित हो, कोशिका झिल्लियों से संयुक्त होकर नए वायरस कोशिकाओं में छोड़ने लगते हैं। जिस कोशिका पर यह आक्रमण करते हैं, वह कमजोर होती जाती है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रमुख टी-लिम्फोसाइट्स का खात्मा होना शुरू हो जाता है।