
अधिकारों का उपयोग
Hindi motivational story– एक राजा अत्यंत क्रूर और निर्दयी था। उस राजा को दूसरे को पीड़ा देने में उसे बहुत आनंद खुशी मिलता था। उस राजा ने अपने राज्य में एक आदेश दिया था की एक अथवा दो आदमियों को फांसी लगनी ही चाहिए। उसके इस व्यवहार से प्रजा बहुत डरी और बहुत दुखी हो गई थी।
उस राज के कुछ वरिष्ठ नागरिक ने इस समस्या को लेकर एक बहुत बड़े और ज्ञानी संत के पास पहुंचे बोले यह महात्मा हमारे राज्य को निर्दयी राजा से बचा लीजिए। यदि राजा इसी तरह लोगों को फांसी लगाते रहा तो हमारा नगर खाली हो जाएगा। संत भी यह बात काफी दिनों से सुन रहे थे। उनको भी यह बात सुनकर संत बहुत चिंता में पड़ गए। इस समस्या को सुनकर महात्मा ने अगले ही दिन राजा के पास उनके दरबार गए। राजा ने महात्मा को आने पर उनका बहुत स्वागत किया और आने का प्रयोजन भी पूछा।
तब संत ने राजा से बोला कि मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। तब राजा ने बोला अवश्य पूछिए मैं आपकी हर समस्या और प्रश्न का जवाब दूंगा। महात्मा ने राजा से कहा यदि आप एक दिन एक घने जंगल में शिकार करने जाएं लेकिन गलती से लौटने का मार्ग भूल जाए और आप भटक जाए और आपको जोड़ों सुप्रिया सब भूख लगे हो ऐसा लग रहा है कि जैसे आपकी प्राण निकल रहा। इस स्थिति में तभी आपकी नजर एक ऐसे व्यक्ति में पढ़ती है जो बेहद गरीब नीचे जात का हो। फिर वही आदमी आपको बेहद गंदला पानी लाकर आपको इस शर्त पर पिलाए की यदि आप अपना आधार आज उस व्यक्ति को दे दे।
तभी राजा ने कहा कि मैं अपनी प्राण बचाने के लिए आधा राज्य उस व्यक्ति को सौंप दूंगा। तो फिर ब्राह्मण ने कहा यदि आप वह गंदा पानी पीकर आप बीमार हो जाओ और आपके प्राणों पर संकट आ जाए और कोई भी वैध आप के प्राण बचाने के लिए आधा राज्य फिर से मांग दे तो आप क्या करेंगे। राजा ने कहा यदि जीवन ही नहीं तो राज्य किस काम का मैं उसे वह भी आधा राज्य सौंप दूंगा।
तब महात्मा संत में बोले हे राजन आप अपने प्राणों की रक्षा के लिए अपने पूरा राज्य लूटा सकते हैं तो दूसरे का प्लान आप बिना अनुचित कारण के प्राण क्यों लेते हैं। संत की इस बात को सुनकर राजा चेतना आई और वह सुधर गया। सार यह है कि अपने अधिकारों का उपयोग लोकहित में और विवेक सम्मत ढंग से किया जाना चाहिए|