
हाई ब्लड प्रेशर का घरेलू उपचार-High blood pressure ka gharelu upchar
हाई ब्लड प्रेशर का घरेलू उपचार- उच्च रक्तचाप कोई रोग नहीं है बल्कि अन्य किसी रोग के लक्षण के रूप में प्रकट होता है। इसे भी आधुनिक जीवन शैली का रोग माना जाता है जो हृदय, गुर्दे या रक्त संचालन प्रणाली के कारण उत्पन्न होता है। यह रोग वंशानुक्रम के कारण भी उत्पन्न हो सकता है। इस रोग का कोई निश्चित समय नहीं है।
यह हर आयु के व्यक्ति को हो सकता है। जिन लोगों का जीवन तनावपूर्ण रहता है, उनको उच्च रक्तचाप का रोग बहुत जल्दी हो जाता है। जो लोग क्रोध, भय, दु:ख आदि संवेगों में डूबे रहते हैं, उनको भी रक्तचाप शीघ्र हो जाता है।
वसायुक्त पदार्थों का अधिक सेवन, परिश्रम की कमी आदि के कारण भी उच्च रक्तचाप हो सकता है। इसके अलावा धूम्रपान, शराब का सेवन, मूत्रग्रंथि का रोग, मधुमेह, गठिया, अधिक दिमागी श्रम, पाचन संबंधी दोष, कब्ज तथा दांतों में पायरिया रोग आदि भी उच्च रक्तचाप उत्पन्न कर सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर होने का कारण-high blood pressure hone ka Karan
उच्च रक्तचाप कोई रोग नहीं, बल्कि रोग का लक्षण मात्र है जो दिल, गुर्दा या रक्त संचार प्रणाली में गड़बड़ी के कारण पैदा हो जाता है। यह रोग माता-पिता से भी मिल जाता है। उच्च रक्तचाप व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। जो लोग हमेशा तनाव में रहते हैं, गुस्सा ज्यादा करते है तथा शोक, भय आदि भावों को हर पल महसूस करते रहते हैं, उन्हें उच्च रक्तचाप बड़ी आसानी से हो जाता है। तैलीय भोज्य पदार्थों का प्रतिदिन सेवन तथा शारीरिक श्रम की कमी के कारण भी यह रोग हो जाता है। डायबिटीज, गठिया, अत्यधिक मानसिक श्रम करने, कब्ज, पाचन संबधी बड़बड़ी आदि कारणों से भी उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण-high blood pressure ke lakshan
सिर दर्द,
चक्कर आना,
दिल की धड़कन तेज हो जाना,
सिर में भारीपन,
सुस्ती,
काम में मन न लगना,
उलटी हो जाना,
जी घबराना, बेचैनी,
पाचन संबंधी विकार,
कब्ज, अजीर्ण,
छाती में खिंचाव महसूस होना,
चेहरे तथा कानों का लाल हो जाना
आंखों के सामने अंधेरा छाना,
अनिद्रा आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
जब यह रोग अधिक बढ़ जाता है तब नाक से खून निकलने लगता है, हृदय में दर्द होता है, हाथ-पैर सुन्न पड़ जाते हैं और कानों में धूं-धूं के शब्द होने लगते हैं। इसलिए इसका विधिवत उपचार करवाकर एक सुखद जीवन व्यतीत करें।
हाई ब्लड प्रेशर में क्या नहीं खाना चाहिए,
हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाएं और ना खाएं,
उच्च रक्तचाप में दूध, मक्खन आदि से बनी आहारच सारी चीजें, तले पदार्थ, शराब, धूम्रपान, घी, नमक, बैंगन, आलू, अधपका केला, कटहल, दालें, मैदा, मिठाई, गुड़, तेल, खटाई, मिर्च-मसाले, पॉलिश किए चावल, सफेद चीनी, चाय, कॉफी, गोश्त, मछली, मादक द्रव्य का सेवन न करें।
नीबू, पपीता, आंवला, मुसम्मी, सेब, तरबूज आदि फल लाभप्रद आहार हैं। चौलाई का शाक, पालक, लहसुन, लौकी,
पाकत्सा प्याज, टमाटर, गाजर का सलाद, गाजर का रस, बथुआ आदि लेने से रक्तचाप सामान्य रहता है।
सुबह गेहूं की बासी रोटी दूध में भिगोकर खाना, दही में ग्लूकोज डालकर खाना, प्रत्येक कौर को खूब चबा-चबाकर खाना, भोजन करते समय जल न पीना, नंगे पांव हरी घास पर टहलना, सप्ताह-पंद्रह दिन में एक दिन का उपवास रखना आदि सब हितकर हैं। शुक्ल पक्ष की एकादशी को उपवास रखने से रक्तचाप में कमी आती है।
हाई ब्लड प्रेशर का घरेलू इलाज-high blood pressure ka gharelu ilaj
शुद्ध शहद के 10 ग्राम अर्थात दो चम्मच और प्याज के रस भी समान मात्रा में में एक साथ दिन में एक बार ले इससे रक्तचाप में बहुत आराम मिलता है यह रक्तचाप का प्रभावशाली इलाज है।
तरबूज के बीज की गिरी को पीसकर फिर खसखस (सफेद) को भी बराबर वजन पिस ले। इन दोनों को अलग-अलग पीसे।
तीन ग्राम (एक चम्मच) की मात्रा से सुबह शाम खाली पेट पानी के साथ लें। इससे रक्तचाप कम होता है और रात में अच्छी नींद आती है। सिर दर्द भी दूर हो जाता है। कोलेस्ट्रोल पिघलकर पतला होकर निकलने लगता है। यह औषधि तीन-चार सप्ताह लें। तीन ग्राम (एक चम्मच) मेथी (शुष्क दाना) के चूर्ण की फंकी सुबह-शाम खाली पेट 10-15 दिन पानी के साथ लेने से उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। इससे मधुमेह में भी लाभ होता है।
खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन की एक-दो फांके छीलकर टुकड़े कर पानी के साथ चबा लें या एक-दो बीज निकाली हुई मुनक्का में लपेटकर चबा लें। इससे उच्च रक्तचाप मिटता है। लहसुन की ताजा कलियां बढ़े हुए रक्तचाप को कम कर संतुलित अवस्था में रखने में सक्षम होती हैं।
गेहं और चना बराबर मात्रा में लेकर आटा पिसवाएं। चोकर सहित आटे की रोटी बनाएं और खाएं। एक-दो दिन में ही उच्च रक्तचाप में सुधार होता महसूस होगा।
रात में तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी सुबह के समय पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है और इसके नियंत्रण में मदद मिलती है।
तुलसी की चार पत्तियां, दो नीम की पत्तियां दो-तीन चम्मच पानी के साथ घोटकर पांच-सात दिन तक सवेरे खाली पेट पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
सवेरे खाली पेट पेड़ का पका पपीता एक माह तक खाएं और इसके खाने के बाद दो घंटे तक कुछ न खाए-पिएं। इससे उच्च रक्तचाप ठीक होता है।
प्याज और लहसुन का उपयोग यदि भोजन के साथ संतुलित मात्रा में किया जाए तो हृदय रोगों के निवारण और चिकित्सा में लाभ पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि इनका सेवन करने से कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक नहीं बढ़ पाती।
उच्च रक्तचाप में तुरंत लाभ के लिए 100 ग्राम (आधा कप) पानी में आधा नीबू निचोड़कर दिन में दो-तीन बार दो-दो घंटे के अंतराल में पीने से तुरंत लाभ होता है।
दो चम्मच नीम की पत्तियों का रस प्रतिदिन सुबह पीने से उच्च रक्तचाप कम हो जाता है।
दो सेब सुबह और एक सेब शाम को खाने से रक्तचाप सामान्य रहता है।
उच्च रक्तचाप में सेंधा नमक अधिक लाभप्रद है। साधारण नमक की जगह सेंधा नमक लें।
अदरक, लहसुन, प्याज आदि को बराबर मात्रा में खाते रहने से रक्तचाप बढ़ता ही नहीं है।
पुदीने की पत्तियां, सेंधा नमक, काली मिर्च तथा किशमिश की चटनी बनाकर खाएं।
प्रतिदिन दो चम्मच गोमूत्र पीने से उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है।
चार चम्मच चौलाई के रस में जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर पिएं।
हाई ब्लड प्रेशर के लिए दादी नानी के नुस्खे
हाई ब्लड प्रेशर का देसी उपाय, high blood pressure ka desi upay
हाई ब्लड प्रेशर का प्राकृतिक उपचार
प्रारंभ में आसान व हल्के योगासन-कमर चक्रासन, उष्ट्रासन, वज्रासन, भुजंगासन, शलभासन, मकरासन, पवनमुक्तासन का अभ्यास सुबह खाली पेट करें तथा हर दूसरा योगासन पूरे आराम के साथ करें। आसनों के अंत में 5-10 मिनट का शवासन अवश्य ही करें। फिर धीरे-धीरे पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, अर्द्धमत्स्येंद्रासन, हलासन, हस्तपादोत्तानासन का भी अभ्यास करना शुरू कर दें। इससे स्नायुमंडल स्वस्थ, निरोग व मजबूत होते हैं।
बढ़े हुए रक्तचाप को तुरंत कम करने के लिए 20 मिनट तक शवासन का अभ्यास करें। इससे रक्तचाप तुरंत कम हो जाता है। नियमित रूप से शवासन का अभ्यास करने से उच्च रक्तचाप के लक्षण उत्पन्न होने की संभावना न के बराबर हो जाती है।
योगासनों के अतिरिक्त कपालभाति, उज्जायी तथा भ्रामरी प्राणायाम का भी अभ्यास करें। इससे आंतरिक शक्ति में वृद्धि होती है। प्राणायामों के अंत में 10-15 मिनट का शवासन करें।
उच्च रक्तचाप के लिए विशेषरूप से ठंडे रीढ़ स्नान का प्रयोग होता है। इसके लिए टब में अनुकूल तापमान का पानी 2 इंच तक भरकर रोगी को इस तरह से लिटाएं कि उसकी रीढ़ पानी से स्पर्श करती रहे। टब न होने पर ठंडी पट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
गरम पांव का स्नान करें। उसके बाद सिर धोकर पूरे शरीर का स्पंज करें। रोगी स्नान करने की स्थिति में हो, तो हल्के गरम पानी से स्नान करके आराम करें।
दो दिन गरम पांव का स्नान तथा एक दिन पूरा गरम स्नान करवाएं। इसमें तौलिए से हल्की मालिश भी हो सकती है।
सप्ताह में एक बार फलों का रस लें। पेट में कब्ज न रहने दें। शरीर पर तेल की मालिश करके नहाएं। कोई भी दवा अपनी इच्छा से सेवन न करें।
तरबूज के रस में जरा-सी पिसी काली मिर्च मिलाकर पिए
उच्च रक्तचाप में शरीर का शोधन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए जलनेति, कुंजल तथा एनिमा का प्रयोग करें।
2 मिनट तक हल्की गरम सेंक छाती पर देकर 2 मिनट ठंडी सेंक दें। ऐसा 4 बार करें। यदि रोगी की हालत ठीक हो, तो बाथ टब में नमक डालें। गरम पानी से उसे 15-20 मिनट तक स्नान करवाएं। सिर पर ठंडा तौलिया रखें और अंत में हल्के गरम पानी से स्नान करवाकर रोगी को बाहर निकालें।
हरे कांच की बोतल में तैयार सूर्यतापित जल का आधा कप खाली पेट सुबह-शाम सेवन करने से भी उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है।
दिन में सुबह लहसुन के 1 चम्मच रस में 2 चम्मच पानी और आधा चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन लेने और दिन में पानी के साथ बिना नमक के 1-2 नीबू का रस पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य रहता है।
पपीते का रस प्रतिदिन पिएं या पका पपीता प्रतिदिन खाएं। इसके साथ ही अदरक प्याज-लहसुन तीनों को समभाग मात्रा में खाने से रक्तचाप नॉर्मल रहता है।
सुबह-शाम कम नमक वाले संतुलित भोजन का सेवन करें। यदि बुढ़ापा हो, तो समय-समय पर रक्त की जांच कराते रहें। रात में पूरी नींद लें। दिन में खाना खाने के बाद एक घंटा जरूर सोएं।
2-2 पके मीठे सेब सुबह-शाम खाने से रक्तचाप नहीं बढ़ता। साधारण नमक के बदले में सेंधा नमक सेवन करें, क्योंकि उच्च रक्तचाप में सेंधा नमक अधिक लाभप्रद होता है।
उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए शहद, पका पपीता, बेल, खजूर, मुनक्का , किशमिश, दूध लाभप्रद भोज्य-पदार्थ हैं।
दिनभर में तीन बार नीबू-पानी पीने से उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है। नीम की पत्तियों का 2 चम्मच रस प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिएं। इससे उच्च रक्तचाप कम हो जाता है।
1 कप गाजर का रस, आधा कप संतरे का रस, 1 कप चुकंदर का रस, 4 चम्मच पपीते का रस-इन सबको एकसाथ मिलाकर सुबह के समय एक बार पिएं। इससे उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
एक कप चुकंदर का रस, आधा कप गाजर का रस, आधा कप संतरे का रस तथा चार चम्मच पपीते का रस मिलाकर सुबह के समय उपयोग में लें।
हाई ब्लड प्रेशर का अन्य उपचार
शवासन उचित ढंग से किया जाए तो उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। उच्च रक्तचाप के रोगी प्रतिदिन पांच से दस मिनट तक शवासन अवश्य करें। शवासन करने से मानसिक और शारीरिक थकान दूर होती है।
अगर कोई व्यक्ति बायां (लेफ्ट) स्वर (बाएं नासिका छिद्र से सांस चलना) लगातार 30 मिनट चलाए तो उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। अभ्यास से इच्छानुसार स्वर बदला जा लगता है। इच्छानुसार स्वर बदलने का एक महज उपाय यह है कि जिस नासिका छिद्र से स्वर चलाना है उसके दूसरी तरफ से नासिका छिद्र में रुई लूंस दें। कुर्सी पर बैठे हैं तो एक तरफ जोर देने या झुकने मात्र से और यदि खड़े हैं तो एक पैर की एड़ी ऊंची करके दूसरे पैर पर जोर देने से, जिस तरफ जोर पड़ता है, उसके दूसरी तरफ के नासिका छिद्र का स्वर चलने लगता है।
उच्च रक्तचाप के रोगी भोजन करने के बाद वज्रासन का अभ्यास पांच से पंद्रह मिनट तक कर सकते हैं। इसके साथ ही प्रातः के समय खाली पेट धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन, उष्ट्रासन, पवनमुक्तासन का नियमित अभ्यास करने से भी विशेष लाभ होता है।
प्राणायामों में कपालभाति, उज्जायी तथा भ्रामरी का अभ्यास करने से उचित लाभ होता है। आसन या प्राणायाम एक से दो मिनट या यथाशक्ति करना चाहिए।