
अकबर और बीरबल की मजेदार कहानियाँ-बीरबल और फारस का राजा
एक बार, फारस के राजा ने अकबर-बीरबल को अपने दरबार में शाही दावत का निमंत्रण दिया। अकबर की बहादुरी के किस्से हर जगह मशहूर थे। उनके सम्मान में ही यह शाही दावत रखी गई थी। उन्होंने बड़ी प्रसन्नता से फारस के राजा का यह निमंत्रण स्वीकार किया।
फारस के निवासियों ने बीरबल की हाजिरजवाबी और चतुराई के बारे में भी सुन रखा था। फारस के राजा ने योजना बनाई कि वे सबके बीच बीरबल की समझदारी की परख करेंगे। वे देखना चाहते थे कि क्या बीरबल वास्तव में इतने अक्लमंद है या यह लोगों की बनाई हुई बातें हैं। एक रात, राजा ने अकबर और बीरबल के सम्मान में एक और शाही दावत रखी। वहां वे बीरबल से गप्पें लड़ाने लगे। बातचीत के दौरान उन्होंने बीरबल से पूछा, “आपको यहां किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं? आपको हमारा शहर कैसा लगा?”
बीरबल बोले, “बहुत खूब! शहर की खूबसूरती के क्या कहने! आपकी मेहमाननवाजी तो तारीफ के लायक है। आपने कितनी अच्छी दावत रखी है।”
“यह सब आपके और जहांपनाह अकबर के लिए किया गया है।” फारस के राजा ने कहा। “जी, आपकी मेहरबानी! मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि आप इतनी बड़ी दावत देंगे। यहां कितने सारे मेहमान बुलाए गए हैं।” बीरबल बोले।
फारस के राजा ने कहा, “मेरे दोस्त, यहां मामला थोड़ा अलग है। इसी मामले की तह में
आपके लिए एक पहेली छिपी है। देखें कि आप इसे सुलझा पाते हैं या नहीं?”
“क्यों नहीं महाराज! मुझे तो पहेलियां हल करना बहुत पसंद है। आपकी पहेली हल करने में मुझे बहुत आनंद आएगा। मुझे आपकी चुनौती मंजूर । है।” बीरबल बोले।
राजा ने अपनी पहेली बताते हुए कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूं कि ये सब तो मेरे यहां काम करने वाले लोग हैं। इन सभी में केवल एक ही आदमी को मेहमान के तौर पर बुलाया गया है। आपको उस मेहमान को पहचानना है।”
यह सुनते ही बीरबल दरबार में यहां-वहां सबको देखने लगे। फिर बोले, “मैं आसानी से बता सकता हूं, पर आपको एक काम करना होगा। इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि वह मेहमान कौन है। आपको सबके सामने एक चुटकुला सुनाना होगा।” राजा ने झट से हामी भर दी।
जब राजा ने चुटकुला सुना दिया तो बीरबल सीधा उस आदमी के पास जा पहुंचे, जिसे मेहमान के तौर पर वहां बुलाया गया था। यह देख कर राजा की हैरानी की सीमा न रही। बादशाह अकबर को भी यह जान कर खुशी हुई कि बीरबल का अंदाजा सही निकला। फारस के राजा ने बीरबल से पूछा कि उन्होंने इतना सही अंदाजा कैसे लगाया।
बीरबल बोले, “महाराज! जब मालिक कुछ करता है तो उसके लिए काम करने वालों को उसकी हर बात माननी होती है। ज्यों ही आपने चुटकुला सुनाया तो सभी हंसने लगे पर एक आदमी नहीं हंस रहा था क्योंकि वह आपका मेहमान था और यह जरूरी नहीं था कि वह आपके चुटकुले पर हंसे। उसके चेहरे पर ऊब दिखाई दे रही थी। इस तरह मैंने आपके मेहमान को पहचान लिया।”
फारस के राजा ने भी मान लिया कि बीरबल की समझदारी का कोई मुकाबला न था। उन्होंने बीरबल को बहुत सारे इनामों के साथ विदा किया।