
मेरा भारत महान पर निबंध |Essay on my Great India in Hindi
हमारे देश का नाम भारत कोई साधारण नाम नहीं है। जहां आर्यों की सभ्यता के कारण इस देश का नाम ‘आर्यावर्त’ पड़ा, वहीं राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला के गर्भ से उत्पन्न तेजस्वी पुत्र भरत के नाम पर ‘भारत’ पड़ा। सिंधु घाटी की सभ्यता के नाम पर इस देश का नाम ‘हिंदुस्तान’ पड़ा।
सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलसितां हमारा।
यद्यपि हमारा देश किसी न किसी आक्रमण से त्रस्त रहा और बाद के दिनों में लगभग तीन सौ वर्षों तक अंग्रेजों द्वारा पददलित रहा, तथापि इसने अपनी प्राचीन संस्कृति का त्याग नहीं किया। इसका भौगोलिक स्वरूप भी सचमुच अत्यंत मोहक है। सागर इसके चरण पखारते हैं और गिरिराज हिमालय इसके उज्ज्वल मस्तक हैं। 32 लाख 68 हजार 90 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ यह विशाल देश लगभग एक अरब से अधिक जनसंख्या और हरियाली से युक्त है। क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया में भारत का सातवां तथा जनसंख्या के हिसाब से दूसरा स्थान है। सांस्कृतिक गरिमा की दृष्टि से यह विश्व का प्रथम देश है। भारत को दुनिया के देशों ने ‘सोने की चिड़िया’ कहा है।
भारत दुनिया का सबसे सुंदर देश है। इस देश की प्रतिष्ठा की एक-एक बात भी अद्वितीय है। संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद यहां की श्रेष्ठतम आध्यात्मिक सर्जना है। श्रीकृष्ण और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अवतार लेने की भूमि भी यही है। यह भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और गुरु नानक देव का जन्मस्थल तथा बौद्ध, जैन एवं सिक्ख धर्मों का क्षेत्र रहा है। यही आदिकवि वाल्मीकि, महाकवि तुलसीदास, सूरदास, कालिदास, भवभूति, माघ, दंडी आदि मनीषियों के आविर्भाव की पावन भूमि रही है। गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी एवं कृष्णा आदि नदियों की धाराएं यहीं की पवित्र भूमि पर शाश्वत प्रवाहमान हैं।
यहां मातृभूमि की बलिवेदी पर अपने प्राण पुष्प अर्पित करने वाले अनेक वीर पुरुषों तथा महिलाओं का आविर्भाव हुआ है। हमें अपने भारत की विभूतियों पर अत्यंत गर्व है। दुनिया भर के कितने ही आक्रमणकारियों ने हमारे देश के अस्तित्व पर हमला किया और लूटा, फिर भी भारत उसी तरह आज भी अखंड, सभ्य, सुसंस्कृत और सलज्ज बनकर विश्व को अपने अचल अस्तित्व का बोध करा रहा है। इसकी प्रकृति और संपदा पर आज भी पूरी दुनिया ललचाती है। हमारे देश में छह ऋतुएं अपनी छटा बिखेरकर बहुरंगा दृश्य उत्पन्न करती हैं। इन ऋतुओं की झांकियां हमारे हृदय को हर लेती हैं।
आज हमारा भारत आजाद है और दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र देश है। भारत की सहभागिता के लिए पूरा विश्व इसकी ओर आशान्वित दृष्टि से देखता है। हमारी शांति कामना और विश्व बंधुत्व की भावना से पूरा विश्व प्रभावित है। भारत की भूमि रत्नगर्भा रही है। यहां प्रत्येक वस्तु का प्राचुर्य है। यहां के मंदिरों में कलाकृतियां तथा खानों में बहुमूल्य रत्न और धातुएं भरी पड़ी हैं।
लेकिन आज हम अपने प्राचीन गौरव के प्रति जागरूक नहीं रह गए हैं। अपने जीवन के आदर्शों को भौतिकता की चकाचौंध में भूलते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में लाचार होकर कवि को कहना पड़ा है
हम कौन थे, क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी,
आओ विचारें आज मिलकर ये समस्याएं सभी।
हमारे सपनों के भारत में आज की भांति घोटाले नहीं होंगे, भ्रष्टाचार नहीं होगा तथा अपराध नहीं होंगे। मानव मूल्यों की रक्षा और देश की प्रगति के लिए हर नागरिक प्रयत्नशील रहेगा। हमारे सपनों का भारत वही भारत होगा, जहां पुनः देवगण अवतरित होने की कामना करेंगे।