
मेक इन इंडिया पर निबंध | Essay on Make in India in Hindi
भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक पहचान दिलाने के उद्देश्य से ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) वैश्विक पहल का शुभारंभ 25 सितंबर, 2014 को किया गया। इस कार्यक्रम का लोगो मशीनीकृत शेर है। ‘मेक इन इंडिया’ नामक इस नए वृहद राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करना है। यह कार्यक्रम देश में निवेश को बढ़ाने, नवप्रवर्तन को तीव्रतर करने, कौशल विकास संवर्धन, बौद्धिक संपदा संरक्षण और उत्कृष्ट विनिर्माण अवसंरचना के निर्माण के उद्देश्यों के साथ तैयार किया गया है। इस वृहद अभियान के तहत भारत में निवेश के संवर्धन के साथ व्यवसाय करने की व्यवस्थाओं को सरल बनाने हेतु अनेक उपाय किए गए हैं।
यह पहल एक नये रास्ते का खाका तैयार करने की सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करती है, जिसमें सक्रिय सहयोग की भावना के साथ व्यावसायिक संस्थानों का स्वागत किया जाएगा। राज्य सरकारों और भारतीय उद्योग और वाणिज्य मंडल संघ के सहयोग से, एक संगठन निवेश भारत (इनवेस्ट इंडिया) का गठन किया गया है, जो विदेशी निवेशकों को नियामक और नीति संबंधी मुद्दों के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी देगा और नियामक संबंधी मंजूरी प्राप्त करने में उनकी सहायता करेगा। सरकार द्वारा नियामक संबंधी सभी प्रक्रियाओं पर ध्यान दिया जा रहा है ताकि उन्हें सरल बनाया जा सके और निवेशकों पर उनके पालन के बोझ को कम किया जा सके। सभी तरह की केंद्रीय नियामक मंजूरियों के लिए ई-बिज पोर्टल 24 घंटे और सातों दिन ऑनलाइन, वास्तविक समय मंच प्रदान करेगा। राज्य सरकारों की सहभागिता के साथ राज्य स्तर की मंजरी इस पोर्टल से ली जा सकती है। पोर्टल में विस्तार से अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न संवादमूलक तरीके से तत्काल उत्तर मिलने में निवेशकों की मदद करेंगे, ज्यादा से ज्यादा 48 से 72 घंटे में जवाब देने के लिए ह्यून इंटरफेस की व्यवस्था की गई है। इसके लिए सभी प्रमुख मंत्रालयों में केंद्रीय अधिकारी निर्धारित किए गए हैं। आगंतुकों को भौगोलिक स्थिति, दिलचस्पी और वास्तविक समय में अंतिम उपयोगकर्ता का पता लगाने के लिए अति सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया गया है। आगंतुकों के लिए आगामी दौरे विशिष्ट रूप से तैयार किए जाएंगे, जो एकत्र सूचना पर आधारित होंगे। वेबसाइट पर पंजीकृत अथवा उठाए गए प्रश्नों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी और सूचना पत्र के साथ मुलाकाती की सहायता की जाएगी।
‘मेक इन इंडिया’ के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। इसके तहत जहां स्कॉपीन श्रेणी की ‘कलवरी’, ‘खांदेरी’ एवं ‘करंज’ पनडुब्बियों का निर्माण किया गया है, वहीं ‘तेजस’ जैसा हेलीकॉप्टर भी निर्मित किया गया। अर्जुन टैंक इसी कार्यक्रम की देन है, तो इसी कार्यक्रम के तहत डीआरडीओ द्वारा छोटी रेंज की मिसाइल (SR SAMS), जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल (ORSAM) तथा हेलीकॉप्टर से लांच की जाने वाली एंटी टैंक मिसाइल आदि विकसित की गई हैं। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ‘रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लि.’ द्वारा ‘शचि’ एवं ‘श्रुति’ नामक दो युद्ध पोत बनाए गए हैं, जिन्हें जुलाई, 2017 को गुजरात के पीपागांव में लांच किया गया। इसके अतिरिक्त दिसंबर, 2018 में भारत और रूस ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि रूस से खरीदे गये विमानों, हेलिकॉप्टरों तथा पनडुब्बी तथा अन्य प्लेटफार्म के कलपुर्जे मेक इन इंडिया के तहत संयुक्त रूप से भारत में ही बनाए जाएंगे।
‘मेक इन इंडिया’ के फलस्वरूप विदेशी निवेशकों एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों का रुझान भारत के प्रति बढ़ा है। भोजन संबंधी उत्पादों की पैकिंग से जुड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘टेट्रा पाक’ (Tetra Pak) ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में पैकिंग की शुरुआत की है, तो फर्नीचर निर्माता बहुराष्ट्रीय कंपनी फर्नीचर निर्माण के लिए पुणे में अपनी पहली शाखा खोल चुकी है। एक अन्य मोबाइल कंपनी ‘इरिक्शन’ (ERICSON) शीघ्र ही पुणे में अपनी शाखा खोलेगी। ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत चीन की मोबाइल निर्माता कंपनी (HUAWEI) ने भारत में 170 मिलियन डॉलर का निवेश किया है तथा बंगलुरू में अपना अनुसंधान एवं विकास केंद्र खोला है। इसी क्रम में वर्ष 2015 में जिओमी-फॉक्सकॉन (XIAOMI-Foxconm) कंपनी ने एक विनिर्माण केंद्र की स्थापना तमिलनाडु-आंध्र प्रदेश सीमा पर की है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी ‘जनरल मोटर्स’ (General Motors) ने महाराष्ट्र में 6,400 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
परिवहन के क्षेत्र में भी अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। दिसंबर, 2015 में भारतीय रेलवे ने वैश्विक ट्रांसपोर्ट कंपनी ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ और ‘अलस्टॉम (ALSTOM) ट्रांसपोर्ट’ के साथ दो समझौते किए जिनके तहत बिहार में रेल कोच बनाने के दो कारखाने स्थापित किए जाएंगे, जिन पर कुल 40,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा। इसी क्रम में अमेरिकी विमानन कंपनी ‘बोइंग’ (BOEING) ने ‘चिनूक’ और ‘अपैक’ नामक अपने दो हेलीकॉप्टरों को भारत में निर्मित किए जाने का निर्णय लिया।
यकीनन ‘मेक इन इंडिया’ एक ऐसी पहल है, जो विश्व मंच पर भारतीय अर्थव्यवस्था का परचम लहराने में सहायक सिद्ध होगी। इससे भारत में गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का शमन होगा । तथा भारत वैश्विक उत्पादन का महत्त्वपूर्ण केंद्र बनेगा। इस पहल का प्रतीक ढेर सारे पहियों वाला विशाल शेर हिम्मत, मजबूती, बुद्धिमत्ता, शांतिपूर्ण प्रगति और चमकीले भविष्य के रास्ते को इंगित करता है। यकीनन, हम ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से चमकीले भविष्य के रास्ते पर सधे कदमों से बढ़ रहे हैं।