
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला पर निबंध |Essay on International Trade Fair
प्राचीन शब्द ‘पैठ’ अथवा ‘मेले’ का आधुनिक रूप है-प्रदर्शनी। प्रदर्शनी में अनेक प्रकार की दर्शनीय वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाता है। प्रदर्शनी कई प्रकार की होती है; यथा-डाक टिकटों की प्रदर्शनी, कृषि पदार्थों की प्रदर्शनी, चित्रों की प्रदर्शनी, उद्योग धंधों की प्रदर्शनी, गुलाब आदि के फूलों की प्रदर्शनी इत्यादि। इनमें से कुछ प्रदर्शनियां छोटे स्तर की होती हैं; यथा-डाक टिकट एवं चित्रों की प्रदर्शनी। छोटे स्तर की प्रदर्शनी किसी हॉल या कमरे में लगाई जाती है। किंतु कृषि और औद्योगिक प्रदर्शनियां बड़े स्तर की होती हैं, जिन्हें बड़े-बड़े मैदानों में ही लगाया जा सकता है। इस प्रकार की प्रदर्शनियों या मेलों में अनेक तरह की वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाता है।
अथक परिश्रम करने के बाद व्यक्ति व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से विश्राम और मनोरंजन चाहता है। वह अपने मित्रों, परिचितों और संबंधियों से मिलकर कुछ समय के लिए अपनी परेशानियां भुला देता है। इस दृष्टि से भारतीय मेलों का विशेष महत्व है। श्री आर.एन. गौड़ के शब्दों में –
भारत की संस्कृति में सुंदर, यदि मेलों का मेल न होता,
तो निश्चय ही भारपूर्ण मानव जीवन भी खेल न होता।
इसके अतिरिक्त आधुनिक मेलों तथा प्रदर्शनियों का एक अन्य महत्व है, वह है-प्रदर्शित वस्तुओं की मांग को बढ़ाना अर्थात जन-जन को उन वस्तुओं की जानकारी देना। अतः प्रत्येक देश और जाति में इन मेलों एवं प्रदर्शनियों का ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक तथा आर्थिक महत्व होता है।
नई दिल्ली में बड़े स्तर की प्रदर्शनियां तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले पुराने किले के समीप मथुरा रोड पर स्थित एक विशाल मैदान में आयोजित किए जाते हैं। इस प्रदर्शनी स्थल को ‘प्रगति मैदान’ के नाम से जाना जाता है। इस विशाल मैदान में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों तथा मेलों का आयोजन होता रहता है। ये प्रदर्शनियां 14 नवंबर से 27 नवंबर तक होती हैं। इनका आयोजन व्यापार मेला प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। इन प्रदर्शनियों एवं मेलों का
विज्ञापन समाचार-पत्रों, रेडियो तथा बडे-बडे बैनरों द्वारा किया जाता है। इसमें प्रायः उन वस्तुओं का प्रदर्शन होता है, जिनका प्रयोग सभी देशों द्वारा किया जा सकता है। ये पदार्थ छोटे और बड़े उद्योगों द्वारा निर्मित होते हैं। अत: इन उद्योगों से संबंधित प्रदर्शनी को ‘औद्योगिक प्रदर्शनी’ कहा जाता है।
गत वर्ष प्रगति मैदान में औद्योगिक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। इसमें दिल्ली, असम, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर एवं केरल और जापान, जर्मनी तथा अन्य विकसित देशों के पंडाल लगाए गए थे, जिनकी सजावट अत्यंत आकर्षक थी। विभिन्न स्टालों पर विभिन्न वस्तुओं का प्रदर्शन हो रहा था। हरियाणा के स्टाल पर एटलस कंपनी की बनी साइकिलों के मॉडल लगे थे। जर्मनी के स्टाल पर लगी स्टीम प्रेस और बुनाई मशीन बहुत पसंद आई। कहीं-कहीं खाने-पीने के स्टाल पर चाट-पकौड़े आदि मिल रहे थे। बच्चों के आकर्षण का केंद्र ‘खिलौना मंडप’ बना हुआ था। खिलौना मंडप में जापान की गुड़िया विभिन्न मुद्राओं से लोगों का मनोरंजन करती रही। इस प्रदर्शनी में वस्तु के निर्माण, क्रय-विक्रय की सुविधा और उपयोगिता की जानकारी दी जाती है।
इन औद्योगिक प्रदर्शनियों द्वारा विभिन्न वस्तुओं का विज्ञापन होता है, जिससे उनके व्यापार तथा निर्यात को बढ़ावा मिलता है। इसके अतिरिक्त एक ओर राष्ट्रों के आर्थिक विकास में सहायता मिलती है, तो दूसरी ओर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव, मित्रता एवं सहयोग में वृद्धि होती है। अतः इन प्रदर्शनियों और मेलों का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है।