
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध |Essay on Independence Day in Hindi
परतंत्रता से बढ़कर कोई दुख नहीं और स्वतंत्रता से बढ़कर कोई सुख नहीं। 15 अगस्त हम भारतीयों के लिए सबसे अधिक खुशी का दिन है, क्योंकि इसी दिन सन 1947 को हमें 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिली थी। इसलिए 15 अगस्त भारत का ‘स्वतंत्रता दिवस’ कहलाता है-
सन सैंतालिस का पंद्रह अगस्त,
ब्रिटिश का हुआ सूर्य अस्त।
परतंत्रता की बेड़ी टूट गई,
स्वतंत्रता की रश्मि फूट पड़ी।
हम हुए भारत के लाल स्वतंत्र,
अब विश्व हमें न कहे परतंत्र।
भारतीय परतंत्रता की एक लंबी कहानी है। यह सन 1192 से पृथ्वीराज चौहान की पराजय से प्रारंभ होती है। सन 1757 में प्लासी के युद्ध में विजय के बाद अंग्रेज भारत के शासक बन गए। हम गुलाम देश के नागरिक कहे जाने लगे। गोरों द्वारा हम भारतीयों पर तरह-तरह के अत्याचार होने लगे। इस प्रकार हमारा जीवन नारकीय हो गया। स्वतंत्र होने के लिए हम भारतीय छटपटा उठे। इसी के तहत 1857 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई लड़ी गई। इसे ‘सिपाही विद्रोह’ भी कहा गया। इस लड़ाई में झांसी की रानी, बाबू कुंवर सिंह, बहादुरशाह जफर आदि भारत के सपूतों ने अंग्रेजों से डटकर लोहा लिया। लेकिन संगठित न होने के कारण हमें मुंह की खानी पड़ी। परंतु इससे विद्रोह की आग नहीं बुझी, अपितु यह भीतर ही भीतर सुलगती रही।
वीर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव आदि भारत मां के सपूतों ने इसे प्रज्वलित रखा। गांधी जी के सफल नेतृत्व ने स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। उन्होंने अहिंसा एवं असहयोग का रास्ता अपनाया। महात्मा गांधी की बातों का भारतीय जनता पर जादुई असर हुआ। गांधी जी जो बोलते, वह 36 करोड़ जनता की आवाज होती। गांधी जी जिधर चलते, 36 करोड़ जनता उधर चल पड़ती। इसका प्रभाव यह हुआ कि सन 1942 में भारतीयों ने एक स्वर से आवाज उठाई, “अंग्रेजो, भारत छोड़ो।”
देश व्यापी इस आवाज से अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिल उठीं। अंततः भारतीयों की चट्टानी एकता और गांधीवाद के समक्ष अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़े। फिर 15 अगस्त, 1947 की अर्द्ध रात्रि को अंग्रेजों ने भारत को आजाद कर दिया। ब्रिटेन का झंडा उतारकर सर्वत्र भारतीय तिरंगा फहराया गया। घर-घर दीवाली मनाई गई एवं जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं।
15 अगस्त हमारा राष्ट्रीय त्योहार है। इस दिन राष्ट्रीय छुट्टी रहती है। प्रभात फेरियां निकालकर अमर शहीदों की जय-जयकार करके उन्हें याद किया जाता है। सभी कार्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं के प्रधान द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। सभी राज्यों की राजधानी में मुख्यमंत्री द्वारा ध्वजा फहराई जाती है। इसके बाद लाल किले से प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं, जिसमें उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रमुख कार्यों का ब्योरा रहता है।
लेकिन आज स्वतंत्रता का गलत अर्थ लगाया जा रहा है। स्वतंत्रता का अर्थ लोग स्वच्छंद वातावरण एवं मनमानी से लगा रहे हैं। इसी भाव के कारण आज सर्वत्र अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सरकारी कार्यालयों, बड़े बड़े उद्योग धंधों, रेलों के परिचालन एवं शिक्षण संस्थाओं पर इसका कुप्रभाव स्पष्ट दिख रहा है। यह भाव हमारी राष्ट्रीय प्रगति में बाधक है। स्वतंत्रता का अर्थ है-कर्तव्य पालन एवं उत्तरदायित्वों का मुस्तैदी से निर्वहन।
एक बार गांधी जी से किसी ने पूछा, “आप आजादी क्यों चाहते हैं?”
गांधी जी ने स्पष्ट कहा, “हम आजादी इसलिए चाहते हैं, ताकि गरीबों की सेवा का अधिक से अधिक अवसर मिल सके।”
यही स्वतंत्रता का सही अर्थ है।