
एनी ईस्ले वैज्ञानिक की जीवनी-Biography of Annie Easley Scientist
एनी ईस्ले नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की उस टीम की एक प्रमुख सदस्या थीं जिसने सेन्टोर नामक उच्च ऊर्जा रॉकेट के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर विकसित किया था, जो अंतरिक्ष यानों और संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में उपयोग किया जाता है।
ईस्ले का जन्म अलबामा स्थित बर्मिंघम में हुआ था। उन्होंने न्यू ओरलिंस स्थित जेवियर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की तथा ओहियो जाने से पूर्व उन्होंने अलबामा में जेफरसन काउंटी में स्थानापन्न अध्यापक के तौर पर कार्य किया। 1955 में उन्हें क्लीवलैंड में नासा के लुईस रिसर्च सेंटर के कार्यदल में शामिल होने का सुअवसर मिला।
उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरिक्ष में कदम बढ़ाने को अग्रसर था और उसे पूर्व सोवियत संघ से कड़ी टक्कर मिलने लगी थी। सोवियत संघ ने अपने अधिकतर संसाधनों सहित कई प्रतिभावान वैज्ञानिकों को भी अंतरिक्ष वर्चस्व की इस दौड़ में झोंक दिया था, किंतु अमेरिकी अंतरिक्ष कार्यक्रम की उड़ान उतनी सशक्त नहीं थी क्योंकि अमेरिकी लोग कोरिया में की गई सेना कार्यवाही से निराश थे तथा लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण बने रहने के विरोधी थे। दूसरी ओर वे साम्यवाद के आरोपों से भी विचलित थे, जो कि बहुत अधिक प्रचारित मैक्कारथी सुनवाई का भाग रहा था।
इसके इतर अधिकतर लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् की अर्थव्यवस्था में सफल होने के कठिन प्रयासों पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया और उनमें दूरगामी लक्ष्यों के प्रति अरुचि पैदा होने लगी थी। अचानक 1957 में, जब सोवियत संघ ने पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के लिए पहला उपग्रह स्पूतनिक छोड़ा तो अमेरिका का माहौल भी यकायक बदल गया। सोवियत की यह सफलता अमेरिकी लोगों के गर्व को काफी गहराई तक चुभी और वे सोवियत सेना को मिलने वाले संभावित लाभ के प्रति चौकन्ने हो गए।
उसी वर्ष वायु सेना ने उच्च ऊर्जा क्षमता वाले एक ऐसे स्पेस बूस्टर के प्रस्ताव का अध्ययन किया जिसमें द्रव्य रूपी हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के मिश्रण को एक नए प्रोपलशन (नोदन) प्रणाली के साथ उपयोग किया जाना था। अतः सेन्टॉर को तैयार कर, अमेरिकी सरकार ने 1958 में बूस्टर के विकास को मंजूरी दे दी।
ईस्ले को नासा के लुईस रिसर्च सेंटर में फ्लाइट सॉफ्टवेयर विभाग में नियुक्त किया गया क्योंकि अंतरिक्ष यानों को उड़ाने व उन पर नियंत्रण रखने के लिए जटिल व सूक्ष्म प्रणालियों की आवश्यकता थी इसलिए अंतरिक्ष की इस दौड़ ने कंप्यूटर हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर के विकास को गति प्रदान की। ईस्ले ने ऐसे कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित किये और उन्हें कार्यान्वित करने में मदद की, जिनका सौर पवनों (सोलर विंड्स) के निर्धारण में उपयोग होना था। साथ ही उन्होंने ऊर्जा पर्यवेक्षण व रूपांतरण संबंधी समस्याओं को भी सुलझाया। लुईस सेंटर में रहते हुए ही उन्होंने ऊर्जा संबंधी परियोजनाओं पर भी काम किया।
उन्होंने विद्युत चालित वाहनों को शक्ति प्रदान करने वाली स्टोरेज बैटरियों की उपयोग अवधि तथा ऊर्जा रूपांतरण प्रणाली की क्षमता का भी अध्ययन किया। लुईस रिसर्च सेंटर में कार्य करते हुए ही ईस्ले ने क्लीवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1977 में गणित में बी.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की।
नासा के सेन्टॉर के साथ किए कार्यों के फलस्वरूप ईस्ले ने आज के अंतरिक्ष यानों के लिए प्रक्षेपण संबंधी प्रौद्योगिकी को विकसित किया और साथ ही संचार, मौसम व सैन्य निगरानी उपग्रहों के प्रक्षेपण को भी आधार प्रदान किया। 1991 में यद्यपि ईस्ले सेवानिवृत्त हो गईं, किंतु 1999 में शनि ग्रह की जांच हेतु जो कैसिनी उपग्रह छोड़ा गया था उसमें भी ईस्ले ने अपना वैज्ञानिक योगदान दिया था।