
आन्द्रे मैरी एम्पीयर की जीवनी | Biography of Andre Marie Ampere in hindi
विद्युत धारा के विशेषज्ञ ऐन्द्रे एम्पीयर का जन्म सन् 1775 ई० में फ्रांस में हुआ था। इस वैज्ञानिक की भौतिकी तथा गणित में विशेष रुचि थी। सन् 1814 ई० में वे सांइस अकादमी के सदस्य चुने गये। यह सदस्यता उन्हें गणित की अपूर्व प्रतिभा के कारण प्राप्त हुई थी।
एम्पीयर की दिलचस्पी विद्युत सम्बन्धी अध्ययनों में बहुत ज्यादा थी। वे अपनी प्रयोगशाला में विद्युत चालित खिलौनों पर कोई-न-कोई प्रयोग करते रहते थे। शुरू में उन्होंने इलैक्ट्रो डायनमो पर काम किया।
एम्पीयर ने यह खोजा कि जब दो सामान्तर तारों में विद्युतधारा एक ही दिशा में बहती है तो उन तारों में आकर्षण होता है। इसी प्रकार यदि दो सामान्तर तारों में विद्युत धारा विपरीत दिशाओं में बढ़ती है तो इन दोनों तारों के बीच में प्रतिकर्षण होता है। उन्होंने सर्वप्रथम यह भी आविष्कार किया कि यदि किसी कुण्डली से विद्युत धारा गुजारी जाए तो वह कुण्डली चुम्बक बन जाती है। इस प्रकार की कुण्डली को सालीनाइड कहते हैं।
एम्पीयर के प्रयोगों से यह सिद्ध हो गया है कि विद्युत धाराओं का वही प्रभाव होता है जो चुम्बकों का होता है। उन्होंने एस्टेटिक नीडल का आविष्कार किया जो विद्युत धारा मापने के काम में आती है।
उन्होंने बताया कि पृथ्वी का चुम्बकत्व, पृथ्वी के केन्द्र से बहने वाली विद्युत धाराओं के कारण होता है। उन्हीं के प्रयोग पर आधारित विद्युत धारा की इकाई एम्पीयर आज प्रयोग की जाती है। एम्पीयर ने विद्युत धारा से सम्बन्धित बहुत से कार्य सम्पन्न किये। विद्युत के क्षेत्र में एम्पीयर ने अपने कार्यों से बहुत नाम कमाया। उनके नाम से प्रचलित एम्पीयर इकाई का कूलम्ब द्वारा दिये गये आवेश के साथ गहरा सम्बन्ध है। सन् 1836 ई० में इस महान् वैज्ञानिक की मृत्यु हो गई। उन्हें हम कभी नहीं भुला पायेंगे।
एम्पीयर के नाम से सभी विद्यार्थी आरभिक कक्षाओं में ही अवगत हो जाते है। क्योंकि उन्हीं के नाम पर विद्युत धारा की इकाई प्रचलित है। विद्युत धारा की इकाई एम्पीयर सारी दुनिया में प्रयोग की जाती है तथा बच्चों को शुरू से ही पढ़ाई जाती है।