
भगवान शिव और भस्मासुर की कहानी |Bhasmasur Story in Hindi
एक बार एक शक्तिशाली असुर ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। वह घने जंगल के बीच में गया और एक पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव के नाम का जाप करने लगा। अंत में भगवान शिव प्रसन्न हुए और भस्मासुर के सामने प्रकट होकर कहा, “मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हुआ हूं। मुझे बताओ कि तुम्हारी क्या इच्छा है?”
भस्मासुर ने कहा, “प्रभु, मुझे वरदान दीजिए कि मैं अमर हो जाऊं।” भगवान शिव ने कहा, “मैं तुम्हे अमर नहीं बना सकता हूं। मुझसे कुछ और मांग लो।” तब भस्मासुर ने कहा, “भगवान तब मुझे आशीर्वाद दीजिए कि जैसे ही मैं किसी के सिर पर हाथ रखू, वह राख में भस्म हो जाए।”
भगवान शिव के पास दुष्ट भस्मासुर की इच्छा पूरी करने की अलावा कोई और चारा नहीं बचा था। वह जानते थे कि ऐसा होने पर कोई भी उसे हराने में सक्षम नहीं होगा। फिर भी उन्होंने यह वरदान दे दिया। उसने कई इंसानों को मार दिया । जब वह इंसानों को मारते हुए थक गया, तो उसने देवताओं का पीछा करना शुरु कर दिया।
भस्मासुर को हराने में असमर्थ होने पर सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। उन्होंने कहा, “प्रभु, अपने वरदान के बल से भस्मासुर इंसानों की हत्या कर रहा है और देवताओं को डरा रहा है। इस तरह वह जल्दी ही पृथ्वी और स्वर्ग को जीत लेगा।” भगवान विष्णु ने उन्हें चिंता नहीं करने को कहा। उन्होंने खुद को मोहिनी के रूप में परिवर्तित कर लिया और भस्मासुर के पास चले गए।
मोहिनी इतनी सुंदर थी कि भस्मासुर उस पर से अपनी आंखे हटा ही नहीं पा रहा था। उसने मोहिनी से कहा, “मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि मुझसे विवाह कर लीजिए । ” मोहिनी शर्माते हुए बोली, ” मैं तुमसे विवाह नहीं कर सकती हूं। तुम एक बदसूरत राक्षस हो ।” भस्मासुर प्रेम में अंधा हो गया था, इसलिए वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था। उसने कहा, “प्यारी देवी मुझसे विवाह कर लो । मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूंगा ।” मोहनी ने कहा, “ठीक है, पर एक शर्त है । अगर तुम एक अच्छे नर्तक हुए, तो मैं
तुमसे शादी कर लूंगी।” उसने कहा कि वह मोहिनी को यह साबित कर देगा कि वह एक अच्छा नर्तक है । मोहिनी ने कहा, “मैं नचुंगी। यदि तुमने अपने कदमों को मेरे कदमों से लिया, तो मैं तुमसे विवाह कर लुंगी । भस्मासुर सहमत हो गया। नृत्य शुरू हुआ । मोहिनी जैसा नृत्य करती, भस्मासुर भी उसी तरह नृत्य करने लगा। नृत्य के दौरान मोहिनी ने अपने हाथ अपनी कमर पर रखे, तो भस्मासुर ने भी अपने हाथ अपने कमर पर रख लिए। फिर मोहिनी ने अपने हाथ अपने कंधों पर रखे, तो भस्मासुर ने भी वैसा ही किया । फिर मोहिनी ने अपने हाथ अपनी नाक पर रखे, तो भस्मासुर ने भी अपने हाथ अपनी नाक पर रख लिए। फिर उसने अपने गाल छुए, तो भस्मासुर ने भी अपने गाल छुए।
वह लंबे समय तक अथक नृत्य करते रहे । मोहिनी ने जो कुछ भी किया, भस्मासुर उसके कदम से कदम मिलाने की पूरी कोशिश कर रहा था। वह उसके प्रेम में इतना पागल हो गया था कि वह अपने वरदान के बारे में भी भूल गया था। मोहिनी ने मौके का फायदा उठाया और अपना हाथ अपने सिर पर रख दिया। परन्तु जैसे ही उसकी नकल करते हुए भस्मासुर ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा , वह राख में बदल गया।
भस्मासुर की मृत्यु हो गई और सभी देवताओं ने राहत की सांस ली। इस प्रकार मोहिनी जिसने पहले भी दैत्य और असुरों को अमरता का अमृत देते समय चकमा दिया था, उसने इस बार भस्मासुर को चकमा दिया और उसने अपने सिर पर हाथ रख कर खुद को राख में परिवर्तित कर दिया । मोहिनी अपने मूल रूप में आ गई । भस्मासुर की राख पर भगवान विष्णु खड़े थे । स्वर्ग से उन पर फूलों की वर्षा होने लगी थी।
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