
Bedtime stories in hindi Panchtantra-बोलने वाली गुफा
किसी घने वन के बीचों-बीच एक शेर बहुत मजे में रहता था। उसे सोने और खाने के अलावा और कोई काम ही नहीं करना पड़ता था। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता था। कई बार तो शिकार न मिलने के कारण कई-कई दिन तक भूखे रहने की नौबत भी आ जाती थी। एक बार ऐसा ही हुआ।
वह सारे जंगल में भटकता रहा, पर उसे खाने के लिए कोई छोटा जानवर तक नहीं मिला। सायंकाल के समय वह एक गुफा के बाहर खड़ा था। वह सोचने लगा, ‘निश्चय ही यह किसी जानवर की गुफा होगी। वह रात को अपने घर वापस आएगा। मैं इसमें छिप जाता हूं। यहीं रह कर उसका इंतजार करूंगा और फिर उसे पकड़ लूंगा।’
वह उस खाली गुफा में जा कर चुपचाप बैठ गया। जल्दी ही उसे बाहर से आहट सुनाई दी और उसने अपनी सांस रोक ली। कोई जानवर गुफा में आया था!
असल में वह गुफा एक सियार की थी, जो बहुत ही चतुर था। ज्यों ही वह गुफा के पास आया तो उसे पैरों के निशान दिखाई दिए, जिन्हें देखते ही वह चौकन्ना हो गया। उसने गौर से देखा कि पैरों के निशान गुफा के अंदर तो जा रहे थे, लेकिन बाहर आने के कोई निशान नहीं थे। इसका मतलब था कि गुफा में जो भी गया था, वह अभी बाहर नहीं आया था।
उसने सोचा कि अब क्या किया जाए। फिर उसे एक उपाय सूझा। वह गुफा के मुंह पर खड़ा हो कर चिल्लाया, “गुफा! नमस्कार गुफा! कैसी हो?” वहां से कोई जवाब नहीं आया, तो उसने फिर से कोशिश की- “अरे!! तुम इतनी जल्दी अपना वादा भूल गई। हमने तय किया था कि मैं बाहर से आने पर तुम्हें आवाज दूंगा और तुम मुझे बोल कर बताओगी कि सब ठीक है। कोई खतरा नहीं है, तभी मैं अंदर आऊंगा, पर आज तुम बोल क्यों नहीं रही?” इस बार भी कोई जवाब नहीं आया। तब सियार बोला, “अच्छा, तुम जवाब नहीं दे रही। ठीक है, मैं रहने के लिए कोई और गुफा देख लेता हूं।”
अब सियार की सारी बातें सुन रहे शेर के कान खड़े हो गए। अब तक तो वह दम साधे बैठा था, पर अब उसे लगा कि अगर उसने जल्द ही कुछ न किया तो सियार वापस चला जाएगा। उसने तय किया कि वह गुफा के रूप में जवाब देगा क्योंकि सियार और गुफा के वादे वाली बात सच ही होगी तभी तो सियार उसे दोहरा रहा है अर्थात् जब भी सियार आवाज देता होगा तो गुफा उसका जवाब देती होगी।
शेर ने सोचा, ‘आज शायद मुझसे डरने के कारण गुफा जवाब नहीं दे रही है। बेहतर होगा कि इसकी जगह मैं जवाब दे दूं वरना सियार वापस चला जाएगा और मुझे फिर से भूखा रहना होगा।’
शेर बड़ी मीठी आवाज में बोला, “आ जाओ दोस्त, सब ठीक है! तुम आराम से आ सकते हो।” उसके बोलते ही सारी गुफा उसकी दहाड़ से गूंज उठी। सियार समझ गया कि उसकी गुफा में शेर छिपा बैठा है। उसने सोचा, ‘शुक्र है आज तो जान बच गई। मेरा अंदाजा सही निकला।’
ऐसे में बच निकलने में ही भलाई है। ‘विपत्ति का मुकाबला करना संभव न हो, तो उससे बच निकलना ही समझदारी है, यह सोचकर सियार अपनी दुम दबा कर जंगल में भाग गया और अपने लिए नया घर खोज लिया। बेचारे मूर्ख शेर के हाथ कुछ नहीं आया। उसे उस दिन भूखा ही रहना पड़ा।