
थर्मापायली युद्ध (Thermopile War) (480 ई०पू०)
थर्मापायली का युद्ध ईस्ट मिडिल यूनान के ‘थर्मापायली’ नामक स्थान पर मैराथन युद्ध के दस वर्ष बाद 480 ई०पू० में हुआ था। इस युद्ध में एक बार फिर यूनानी योद्धाओं और फारस की सेना ने शक्ति परीक्षण किया था। पर इस युद्ध को फारस के राजा डेरियस ने नहीं बल्कि डेरियस के बाद सत्तासीन हुए फारस के राजा जेरक्सीज प्रथम ने यूनान के एथेन्स राज्य के राजा थेमेस्टोक्सीज के विरुद्ध लड़ा था।
युद्ध का कारण
थर्मापायली का युद्ध पूर्णरूप से फारसवासियों की ओर से यूनानवासियों पर लादा गया था। इस युद्ध का एकमात्र कारण मैराथन युद्ध की हार था, यूनान वालों से बदला लेना था।
फारसवासियों ने दल साल तक मैराथन युद्ध की हार को बराबर याद रखा था। फारस के राजा जेरक्सीज प्रथम ने इस युद्ध की भरपूर तैयारी की थी। इस तैयारी में लगभग 3,00,000 सैनिकों की भर्ती की गयी थी। तीन लाख सैनिकों की विशाल सेना के साथ फारस के राजा जेरक्सीज ने यूनान के चप्पे-चप्पे को रौंद डालने और अपने अधीन कर लेने का बीड़ा उठाया था।
दूसरी ओर यूनान के छोटे-बड़े सभी राज्यों ने तेजी से अपनी एकता का परिचय दिया था।
फारस राजा ने विशाल समुन्द्री बेड़े से तीन दिन की लम्बी यात्रा करके अगस्त-सितम्बर माह 480 ई०पू० आरटमीजियम के तट पर अपना जहाजी बेड़ा उतारा था। 1,00,000 सेना लेकर फारस राजा ने सर्वप्रथम एथेंस पर आक्रमण किया।
यूनानी राज्य के योद्धाओं ने फारस की सेना बल को कोई अहमियत न दी थी। वे अपने शौर्य और युद्धकला के बल पर परसियन सेना (फारस सेना को परसियन सेना का नाम अंग्रेज इतिहासकारों ने दिया है।) का मुकाबला करने का फैसला किया था।
स्पार्टा के राजा लियोनायड प्रथम ने बढ़ती हुई परसियन सेना का बढ़कर मार्ग रोका। स्पार्टा की सेना के साथ आस-पास के छोटे-छोटे राज्यों की सेनाएं भी आ मिली थीं। प्रथम दिन के युद्ध में स्पार्टा के राजा ने परसियन सेना को एक इंच भी आगे न बढ़ने दिया था।
पर अगले दिन के युद्ध में जबकि परसियन सेना की पीछे सुरक्षित सेना की एक बड़ी संख्या साथ देने आ गयी तो स्पार्टा को हार का सामना करना पड़ा।
इस युद्ध में 300 स्पार्टा, 700 थेसपियन, 400 थेबन्स राज्य के सैनिकों को अपने प्राणोत्सर्ग करने पड़े थे। इनके अलावा अन्य छोटे राज्यों के सैकड़ों यूनानी योद्धाओं ने अपना बलिदान दिया था।
स्पार्टा राज्य पर विजय के बाद बढ़े हुए जीत के उत्साह के साथ परसियन सेना टुकड़ियों में बंटकर तेजी से अन्य राज्यों पर आक्रमण के लिए बढ़ गयी थी। परसियन सेना ने बोयेक्टिया और एथेन्स को भी विजित कर लिया था।
उस समय तक थेमेस्टोक्लीज ने 5,200 हेरोडोटस, 7,000 डायोडोरस और 11,200 पायोसेनियास के यूनानी योद्धाओं की कमान अपने हाथ में लेकर थर्मापायली के युद्ध भूमि में परसियन सेना को चारों ओर से घेर लिया था।
यूनानी योद्धाओं ने कम सेना के बावजूद पूरे उत्साह के साथ युद्ध करते हुए परसियन सेना की युद्ध भूमि में लाशें बिछा दी थीं।
कहा जाता है कि इस युद्ध में परसियन सेना के 70,000 सैनिक युद्ध भूमि में मारे गए। यूनान की ओर से लड़ते हुए हैरोडेटस के 4,000 सैनिक मारे गए।
परसियन राजा जेरेक्सीज प्रथम को युद्ध भूमि से अपने कदम पीछे हटाने पड़े। वह कठिनता से अपनी बची हुई सेना के साथ अपने युद्ध पोतों तक पहुंच पाया था।
फारस की ओर लौटते हुए वापसी के मार्ग में भी परसियन सेना को जगह-जगह ग्रीक से क्षति उठानी पड़ी।
कहा जाता है वापसी के समय परसियन सेना के अधिकांश सैनिक भूख और बीमारी से बीच मार्ग में ही मर गए।
प्राचीन और आधुनिक दोनों ही इतिहासकारों ने थर्मापायली युद्ध को, परसियन सेना की भयानक भूल बताते हुए लिखा है कि यह युद्ध यूनानियों की राष्ट्रभक्ति और शौर्य की अद्वितीय विजय थी। थर्मापायली युद्ध के निर्णय को आत्मरक्षा का युद्ध नाम दिया है।
थर्मापायली युद्ध में यूनानियों की जीत के कारण के रूप में लिखा गया है कि यूनान के योद्धाओं का सैन्य प्रशिक्षण अत्यन्त कुशल था। उनके पास युद्ध के हथियार आधुनिक और आत्मरक्षा पूर्ण थे। उनके पास अद्वितीय साहस तथा राष्ट्र भक्ति की बलवती भावना थी।
ग्रीक योद्धाओं ने काफी समय पूर्व से आदमकद ढालों को श्रेष्ठ रक्षा साधन के रूप में अपनाया था, और आक्रमण करने के लिए लम्बे फल वाले भालों का उपयोग करना सीख लिया था। जबकि परसियन सेना में ऐसी युद्ध कला का अभाव था। परसियन सैनिक उचित प्रशिक्षण पाए बगैर शीघ्रता से भर्ती करके युद्ध के लिए युद्ध भूमि में उतार दिए गए थे-जिसके कारण परसियन राजा जेरेक्सीज प्रथम को भारी जन हानि उठानी पड़ी थी।