
बॉल बियरिंग कैसे बना-ball bearing kaise banaa
बॉल बियरिंग बनाने में सफलता का श्रेय फ्रांस के दो व्यक्तियों को जाता है, जिन्होंने सन् 1545 में दुनिया का सर्वप्रथम बॉल बियरिंग बनाया। एक बार मूर्तिकार फलोरेन्टाइन ने फ्रांस के राजा के लिए बृहस्पति की एक विशालतम मूर्ति तैयार की। मूर्ति इतनी भारी थी कि उसे आसानी से इधर-उधर घुमाया नहीं जा सकता था। उसके दिमाग में सोने के छोटे-छोटे छरों को किसी गोल चीज में लगाकर मूर्ति को आसानी से इधर-उधर घुमाने का विचार आया।
अपने इसी विचार के आधार पर उसने सुनार बेनवेनुतो सीलिनी से बॉल बियरिंग बनवाया और मूर्ति के नीचे लगा दिया। इस तरह पहली बॉल बियरिंग किसी वाहन में नहीं, बल्कि मूर्ति में लगाया था। वैसे इस विचार के जनक विश्व के प्रसिद्ध कलाकार तथा चिंतक ‘लियोनार्दो द विंची’ थे।
उनकी नोटबुक में भी बॉल बियरिंग के रेखाचित्र मौजूद हैं। औजारों की कमी और इसकी उपयोगिता को ठीक से नहीं समझ पाने की वजह से औद्योगिक क्रांति के पहले बॉल बियरिंग कोई जोर नहीं पकड़ पाया, लेकिन औद्योगिक क्रांति के दौरान जब लोहे की तरह-तरह की चीजें बनने लगीं तो सन् 1794 में ‘फिलिप वौधन’ ने पहली बॉल बियरिंग को बनाया और इसे पेटेंट कराया। इस बॉल बियरिंग में पहिए की धुरी भी लगी थी।
साइकिल में बॉल बियरिंग लगाने की शुरुआत सन् 1869 में ‘जेम्समूर’ नामक अंग्रेज ने की। उसने साइकिल दौड़ प्रतियोगिता के लिए अपनी साइकिल की पहियों में बॉल बियरिंग लगवाया। परिणामस्वरूप दौड़ में उसने सभी को बहुत पीछे छोड़ दिया था।
अब तो साइकिल बनाने की हर कंपनी बॉल बियरिंग लगाने लगी। पिछली सदी के अंत तक दुनिया भर में बॉल बियरिंग का बड़े पैमाने पर निर्माण होने लगा। सन् 1930 में अंग्रेज डिजाइनर ‘फ्रेडेरिक लैकेस्टर’ ने गियर बॉक्स में रोलर बियरिंग का इस्तेमाल शुरू किया। इससे मोटर और कारों में बॉल बियरिंग और रोल बियरिंग का प्रचलन शुरू हुआ। आज बिना बॉल बियरिंग के कई आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पातीं-वाहन हो या अन्य मशीनरी किसी की भी।