
एसिडिटी का इलाज-acidity ka gharelu ilaaj
एसिडिटी के कारण और लक्षण,
इसमें छाती में जलन, बेचैनी, खट्टी डकार, उबकाई, अरुचि आदि लक्षण मिलते हैं।
सिर में भारीपन, पेट में भारीपन तथा दर्द, कभी कभार कै तथा दस्त आदि भी हो जाता है।
मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है।
अनियमित खानपान,
तैलीय तथा तली हुई वस्तुएं अधिक खाने से इस रोग की अधिकता उत्पत्ति होती है।
चाय, कॉफी, शराब का अधिक सेवन, गरम तथा चर्बी युक्त भोजन अधिक करना दांतों में खराबी, भोजन का ठीक से न पचना आदि भी बहुत से कारण हैं जिनके चलते अम्लपित्त उत्पन्न होता है।
कैसे बचे एसिडिटी से
- तनाव रहित जीवनचर्या जीने की कोशिश करें।
- मूंग और पुराने चावल की खिचड़ी खायें।
- खाते समय बीच-बीच में पानी पीते रहें। खाना खत्म करके तुरंत पानी न पियें।
- बासी भोजन बिल्कुल न करें।
एसिडिटी का घरेलू उपचार
धनिया तथा मिश्री का काढ़ा बनाकर दिन भर में तीन-चार बार पीने से अम्लपित्त खत्म हो जाता है। .
10 ग्राम हींग के साथ 25-25 ग्राम काला जीरा, कलमी शोरा, काली मिर्च, जवाखार, मीठा
सोडा, काला नमक और सेंधा नमक पीस लें। पिसे मिश्रण में डेढ़ ग्राम पिपरमेंट तथा नींबू का 25 ग्राम रस मिला दें। इस मिश्रण को हवारहित छाया में सुखा दें। इसमें से आधा चम्मच सुबह शाम सेवन करें।
8-10 दाने मेथी और एक चम्मच राई पानी के साथ निगल जायें। उदर के रोग दूर हो जाते हैं।
एक चम्मच सोंठ, एक गिलास पानी में उबाल कर सेंधानमक मिलाकर सेवन करें। सोंठ, काला नमक, दाल चीनी, हींग, पीपल तथा हरें – सबकी 5-5 ग्राम की मात्राएं लेकर खूब अच्छी तरह कूट पीसकर कपड़े से छान कर रख लें। प्रतिदिन भोजन के बाद एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।
आधा चम्मच पपीते का दूध तथा चीनी मिलाकर सेवन करें।
कम तेल में बनाई हुई करेले की सब्जी 5-7 दिनों तक खाने से अम्लपित्त खत्म हो जाता है।
मूली का स्वरस और थोड़ी सी चीनी मिलाकर सेवन करें। हृदय की जलन खत्म हो जाती है।
एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन, एक चुटकी सेंधा नमक और एक चुटकी हींग तीनों को मिलाकर फांक जायें। ऊपर से ताजा पानी पी लें।
125 मि.ग्रा. हींग पानी में घोलकर पी जायें।
तुलसी की चार पत्तियां पीसकर केले के टुकड़े के साथ खायें।
ढूब घास 3 ग्राम तथा बथुए की पत्तियां 3 ग्राम दोनों को धोकर चबायें। सहजन की जड़ और गिलोय की जड़ – दोनों 5-5 ग्राम लेकर चटनी बनाकर गरम जल से सेवन करें।
एसिडिटी का अन्य उपचार
पैर के दोनों तलवों पर देशी घी की 10 मिनट तक मालिश करें।
बरगद की एक पत्ती को पीसकर पेट पर लेप करें। दवा-रहित उपचार
पेट पर काली मिट्टी का लेप करके ऊपर से गीली मिट्टी की पट्टी बांध लें। मिट्टी सूखने
न दें।
प्रतिदिन 10 मिनट तक कमर तक पानी में बैठे।