
एसिडिटी का घरेलू नुस्खे–Acidity ka gharelu nuskhe
एसिडिटी का घरेलू नुस्खे– एसिडिटी ती, गला, पेट आदि अंगों में तीव्र जलन होती है। खट्टी डकारें आती हैं और डकार के संग-संग गले में खट्टा और तीखा पानी भी आ जाता है। कभी-कभार वमन भी हो जाता है। दस्त, कब्ज, अपच की शिकायत भी रहने लगती है। इसलिए अम्लपित्त का उचित इलाज करके इससे होने वाली परेशानियों से मुक्त हो जाएं।
कॉफी, चाय, मांस, मदिरा, अंडा, मछली, अरवी, मिठाई, खटाई, तंबाकू, गुड़, बासी भोजन, भारी और गरिष्ठ तथा मैदे के बने भोज्य पदार्थ, आलू, मिर्च मसाले, तली हुई खाने की चीजें, नमकीन आदि का सेवन करना हानिकारक है।
सुबह-शाम 250 ग्राम गाजर का रस पीने से अम्लपित्त का प्रकोप शांत हो जाता है।
अत्यधिक मात्रा में देसी घी, तेल, दही, पित्तवर्द्धक पदार्थ, अरहर की दाल, साबुत उड़द आदि पित्त को बढ़ाते हैं। इनका सेवन न करें। कब्ज न होने दें और धूप में घूमने से बचें।
गाजर का रस आधा कप, पालक का रस आधा कप, कुलथी का रस आधा कप-इन तीनों रसों को मिलाकर पीने से अम्लपित्त की अधिकता को रोका जा सकता है।
तलवों पर देसी घी की 10 मिनट मालिश करने से भी लाभ होता है।
मुलहठी को पीसकर पाउडर बना लें। 3 ग्राम पाउडर शहद व घी मिलाकर चाटने से अम्लपित्त की तीव्र जलन शांत हो जाती है।
भोजन के बाद पेठे की मिठाई 100 ग्राम की मात्रा में खाने से अम्लपित्त की जलन में तुरंत लाभ होता है।
टब में कमर तक पानी भरकर बैठ जाएं और पेट को 10 मिनट तक पानी में ही हथेली से थपथपाएं। ऐसा करने से अम्लपित्त का रोग शांत हो जाता है।
मूंग, पुराने चावल, करेले, लौकी, तोरी, गेहूं का आटा, पत्तों का साग, हरड़, लहसुन, शहद आदि अम्लपित्त नाशक हैं। इनका सेवन करने से इस रोग में लाभ होता है।
3 ग्राम पिप्पली चूर्ण, 3 ग्राम मिश्री चूर्ण- दोनों को मिलाकर सुबह-शाम पानी के साथ फांकने से अम्लपित्त की समस्या का निवारण होता है।
अनन्नास का रस 100 ग्राम, 5 दाने काली मिर्च का पाउडर-दोनों को मिलाकर पीने से अम्लपित्त की जलन शांत होती है। इसे दिन में दो बार सेवन करें।
गिलोय व सहजन की जड़ दोनों 5-5 ग्राम लेकर चटनी की तरह पीसकर गरम पानी से सेवन करें।
एसिडिटी का घरेलू उपचार(Acidity ka gharelu upchar)
सुबह के समय दो केले खाकर एक कप दूध पीने से अम्लपित्त का कुछ ही दिनों में शमन हो जाता है।
चोकर वाले आटे की रोटी खाने से भी अम्लपित्त की प्रबलता में कमी आती है।
खाना खाने के 4-5 मिनट बाद दूध के साथ दो बड़े चम्मच ईसबगोल की भूसी फांकने से अम्लपित्त की शिकायत दूर होती है।
हरा धनिया, अदरक सम मात्रा में लेकर चटनी की तरह पीस लें और नमक मिलाकर चटनी की तरह ही चाट जाएं। इससे अम्लपित्त का प्रकोप शांत होता है।
अम्लता रोग में पुदीना व अदरक का रस सम मात्रा में लेकर दिन में दो-तीन बार सेवन करने से लाभ होता है।
हरा धनिया, अदरक सम मात्रा में लेकर चटनी की तरह पीस लें और नमक मिलाकर चटनी की तरह ही चाट जाएं। इससे अम्लपित्त का प्रकोप शांत होता है।
अम्लता रोग में पुदीना व अदरक का रस सम मात्रा में लेकर दिन में दो-तीन बार सेवन करने से लाभ होता है।
04 काली मिर्च का पाउडर, 1 चम्मच नीबू का रस, 1 चम्मच प्याज का रस- इन सबको मिलाकर सेवन करने से अम्लपित्त नष्ट होता है।
थोड़ी-सी चीनी मूली के रस में मिलाकर पीने से अम्लपित्त का प्रकोप कम होता है।
रात में अम्लपित्त के कारण परेशानी हो, तो एक चम्मच खाने वाला सोडा और एक चम्मच नीबू का रस ठंडे पानी में मिलाकर पी जाएं।
छोटी काली हरड़ का चूर्ण 2 ग्राम उतनी ही गुड़ की मात्रा में मिलाकर खाने और ऊपर से पानी पीने से अम्लपित्त नष्ट होता है। यह प्रयोग प्रतिदिन शाम के समय खाना खाने के 30 मिनट बाद 30 दिन तक करें।
1 गिलास संतरे का ताजा रस, दो चुटकी भुना जीरा पाउडर और स्वादानुसार सेंधा नमक-इन सबको मिलाकर पीने से अम्लपित्त में तुरंत आराम मिल जाता है।
खाना खाने के बाद एक-एक लौंग सुबह-शाम चूसने से अम्लपित्त की शिकायत दूर हो जाती है, साथ ही अम्लपित्त से होने वाले रोगों का भी शमन होता है।
एसिडिटी का घरेलू उपाय-acidity ka gharelu upay
चाय पीने की आदत धीरे-धीरे छोड़ दें, क्योंकि चाय का सेवन करने से अम्लपित्त में वृद्धि होती है।
प्रतिदिन दोनों समय भोजन करने के बाद गुड़ की छोटी-सी डली (10 ग्राम) मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसने से मुंह में खट्टा पानी आना बंद होता है। अम्लपित्त की शिकायत दूर होती है और पेट में गैस नहीं बनती। यदि पेट में गैस बन भी जाए, तो गुड़ चूसने से लाभ होता है।
शहद और अदरक का रस सम मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से अम्लपित्त शांत हो जाता है।
अदरक के रस में जरा-सा सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा डालकर सुबह-शाम लेने और ऊपर से मट्ठा पीने से अम्लपित्त का शमन हो जाता है।
एक चम्मच अजवायन, दो हरड, चार लौंग-इन तीनों का काढ़ा बनाकर पीने से अम्लपित्त की अधिकता में लाभ होता है।
मूंग, पुराने चावल, करेले, लौकी, तोरी, गेहूं का आटा, पत्तों का साग, हरड़, लहसुन, शहद आदि अम्लपित्त नाशक हैं। इनका सेवन करने से इस रोग में लाभ होता है।
नीम की छाल, नीम की निबौली, नीम की कोपलें- तीनों सममात्रा में लेकर बारीक पीस लें। आधा छोटा चम्मच रोज सुबह बिना कुछ खाए पानी के साथ लें।
बथुए की पत्तियां 3 ग्राम, दूब घास 3 ग्राम- दोनों को धोकर बारीक पीस लें। फिर चटनी की तरह चाट जाएं।
ग्वारपाठे का रस निकालकर रोज सुबह एक चम्मच पिएं।
बेल के 10 ग्राम पत्तों को पानी के साथ पीसकर, 60 ग्राम पानी में मिला-छानकर इसमें 10 ग्राम मिश्री पाउडर मिलाकर सेवन करने से अम्लपित्त का विकार दूर होता है।
संतरे के 100 ग्राम रस में भुना जीरा पाउडर और स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर पीने से अम्लपित्त से मुक्ति मिलती है।